स्वच्छ भारत मिशन योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे ढोने ट्रायल सायकिल की लागत वित्तीय वर्ष 2.84 करोड़ रूपए पंचायत के खाते में डाल दिए गए

स्वच्छ भारत मिशन योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे ढोने ट्रायल सायकिल की लागत वित्तीय वर्ष 2.84 करोड़ रूपए पंचायत के खाते में डाल दिए गए

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✍🏻 “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

स्वच्छ भारत मिशन योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे ढोने ट्रायल सायकिल की लागत वित्तीय वर्ष 2.84 करोड़ रूपए पंचायत के खाते में डाल दिए गए

 

देवभोग–:–गरियाबंद जिले के 303 पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा ढोने ट्राय सायकल खरीदी की योजना बनाई गई,जिसके लिए पिछले वित्तीय वर्ष 2.84 करोड़ रूपए पंचायत के खाते में भी डाल दिए गए। ज्यादातर पंचायतों में डेढ़ करोड़ से ज्यादा की खरीदी कर ट्राय सायकल भी भेजा जिला पंचायत ने।लेकिन बताना भूल गई की इसका उपयोग कैसे करना है,लिहाजा अब सायकल कबाड़ में तब्दील हो गए।जानिए इस खबर में कांग्रेस सत्ता के समय केंद्रीय योजना की राशि का कैसे हुआ दुरुपयोग।

कही कचड़े के ढेर में ,कही विरान मैदान में तो कही पंचायतों के गोदाम के बंद कमरे में पड़े ये ट्राय सायकल बता रहे की गरियाबंद में जिला प्रशासन स्वच्छ भारत मिशन योजना को कितनी संजीदगी से ले रहा है।गांव में निकलने वाले गिला व सुखे कचरे का प्रबंधन इस खरीदी का उद्देश्य था ,पर गुणवत्ता मानकों को ताक में रख कर जिला पंचायत ने पंचायत ने सायकल की सप्लाई कराई ,फिर फर्म के नाम पर प्रति सायकल 54 हजार के दर पर चेक जारी कर भुगतान भी करवा दिया। लेकिन सप्लाई के 8 माह बाद भी इन सायकलो का उपयोग नही किया गया है।

 

मामले की पड़ताल करने हम पंचायतों में पहुंचे,योजना और पड़े पड़े सड़ रहे ट्राय सायकल को लेकर जानकारी लिया तो चौकाने वाले खुलासे हुए।ज्यादातर सरपंचो ने बताया की सायकल भेजा गया चेक भी ले गए पर इसका उपयोग कैसे किया जाना है अब तक अफसरों ने नही बताया।जिला पंचायत द्वारा बताए गए फर्म के बजाए खुद के विवेक से दूसरे फर्म से सायकल खरीदी करने वाले चिचिया सरपंच ने बताया की उसके भुगतान पर रोक लगा दिया गया है।पूरे मामले में जिला पंचायत के जिम्मेदार अफसरों ने

 

 

पांच साल सत्ता में रहते हुए कांग्रेस सरकार केंद्रीय मद के अभाव की दुहाई देती रही,पर जिस योजना में पैसे मिले उसका सदुपयोग कराने भी नाकाम रही।गरियाबंद में केंद्रिय मद में हुए इस खरीदी की जांच हुई तो आंच उस वक्त सत्ता में बैठे लोग और उनके इशारे पर खेला करने वाले अफसरों पर आयेगी।पुरानी सरकार में खड़ी करप्शन के किले को ढहाने अब की सरकार को एक ईमानदार प्रयास की जरूरत है।।

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