अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन खेल खेल में बुनियादी शिक्षा  अंगना म शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।

अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन खेल खेल में बुनियादी शिक्षा  अंगना म शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक –सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन
खेल खेल में बुनियादी शिक्षा  अंगना म शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।

अमलीपदर–:– शास कन्या प्राथमिक शाला अमलीपदर में छत्तीसगढ समग्र शिक्षा के निर्देशानुसार जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद ए के सारस्वत, जिला मिशन समन्वयक गरियाबंद के एस नायक के कुशल  मार्गदर्शन में विकासखंड शिक्षा अधिकारी मैनपुर चन्द्रशेखर मिश्रा विकासखंड स्रोत समन्वयक मैनपुर शिव कुमार नागे , संकुल प्राचार्य आलोक राव वाघे संकुल समन्वयक कोदोभाटा भागीरथी नागेश के नेतृत्व में अंगना म शिक्षा पढई  तिहार बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। अंगना म शिक्षा के अंतर्गत  कक्षा पहिली के बच्चों के साथ-साथ उनकी माता को भी स्कूल आमंत्रित कर बहुत सुंदर गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत भाषा विषय में आओ शब्द बनाएं और गणित विषय के अंतर्गत आस पास के परिवेश की ठोस वस्तु जिनके बारे में बच्चे जानते हैं पहचानते हैं उन वस्तुओं के माध्यम से संख्या पूर्व अवधारणा एवं अन्य गतिविधियां कराई गई।
विद्यालय  के प्रधानपाठक कुमारमणी नागेश और अनिल कुमार अवस्थी  मास्टर ट्रेनर के रूप में बहुत सी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की गई। स्कूल परिसर में आई माताओं ने भी उत्साह से सभी गतिविधियों में हिस्सा लिया। अंगना म शिक्षा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य को बताते  हुए मास्टर ट्रेनर अनिल कुमार अवस्थी ने बताया कि, बच्चों की शिक्षा में माता का जागरूक होना जरूरी है। घरेलू काम के साथ-साथ खेल-खेल में बच्चों को सिखाना, स्कूल और समुदाय के बीच के तालमेल को समझाना और बच्चों को पढ़ाना भी मां की जिम्मेदारी है।
अंगना म शिक्षा कार्यक्रम
बच्चों को अवसर, उचित माहौल और प्रोत्साहन देना जरूरी संकुल समन्वयक कोदोभाटा भागीरथी नागेश ने कहा कि, बच्चों की बाल्यावस्था में उनका उचित देखभाल, पोषण और सर्वांगीण विकास जरूरी है। इसी आयु में बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है। इसके लिए बच्चों को अवसर, उचित माहौल और प्रोत्साहन देना बहुत जरूरी है।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बाल्यावस्था की शिक्षा जरूरी, बाल्यावस्था शिक्षा नीति 2013 और प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत निपुण भारत अभियान में इस आयु वर्ग के महत्व को स्वीकारते हुए पूर्व प्राथमिक शिक्षा में विशेष ध्यान दिया जाता है। बच्चों के स्कूल में प्रवेश के अभिभावक विशेषकर माताएं ही बच्चों के लिए शिक्षक जैसी भूमिका निभाती हैं। शिक्षा में गुणवत्ता लाने का यह छत्तीसगढ़ शासन का बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इसके तहत नई शिक्षा नीति के अनुरूप बुनियादी स्तर पर बच्चों को खेल-खेल में उनकी आयु के अनुसार शिक्षण दिया जाता है।
विद्यालय की स्टाफ  और  ग्राम माताएं रहीं मौजूद
इस अवसर पर संकुल प्राचार्य आलोक राव वाघे ,संकुल समन्वयक कोदोभाटा भागीरथी नागेश,विद्यालय की प्रधान पाठक कुमार मणी नागेश, अनिल कुमार अवस्थी, मोतीलाल दुर्गा, महेंद्र मेश्राम, श्याम सुंदर सोनवानी, पालक सदस्य एवं माताऐं कन्हैई चक्रधारी, अर्जुन यादव,खिरसिंग,सावित्री यादव,,खीरमनी यादव, चन्द्रिका यादव, पादुका बाई ,नेत्रांती,गौशावली यादव, जशोदा निषाद,रामेश्वरी सिन्हा ,हीराबाई, नमीता चक्रधारी,गुंजों बाई, अन्य माताएं मौजूद रहीं।

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