गुरु की कृपा अनंत व अपार है

गुरु की कृपा अनंत व अपार है

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

 

गुरु की कृपा अनंत व अपार है

राज्यपाल पुरष्कृत शिक्षक टेकराम साहू ने कहा है कि गुरु की कृपा अनंत व अपार है। गुरु की कृपा के बिना न तो मानव जीवन का कल्याण हो सकता है और न ही बुद्धि सदमार्ग की ओर प्रेरित हो सकती है ।सभी लोगों के जीवन संवारने में गुरु की महिमा अतुलनीय है।
संत कबीर ने लिखा है- गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय।बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।
अर्थात गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। गुरु एक कुम्हार के समान होता है जिस प्रकार कच्ची मिट्टी को मनचाहा आकार देकर उसे पूर्णता प्रदान करता है। गुरु रोड के समान होता है ,वह उसी स्थान पर खड़े रहकर ही अपने शिष्य को उच्च शिखर प्रदान करने में सहायक सिद्ध होता है।
गुरु अपने शिष्य को उच्च संस्कारवान, शिष्टाचारी, कर्तव्यवान एवं एक श्रेष्ठ नेतृत्व कर्ता बनाने में अपना तन मन लगा देता है। गुरु रूपी पारसमणी से लोहे जैसे शिष्य को स्पर्श मात्र से सोना बना देता है। गुरु वशिष्ठ और सांदीपनि की कृपा से श्री राम और श्री कृष्ण ने अमिट इतिहास रचा ।अरस्तु जैसे गुरु के आशीर्वाद से ही सिकंदर विश्व विजेता बना। चाणक्य जैसे गुरु के प्रसाद से चंद्रगुप्त जैसे महान व्यक्ति का निर्माण हुआ ।गुरु के आशीर्वाद से ही शिवाजी महाराज इतने बड़े मुगल साम्राज्य को परास्त करते रहे ।इसी तरह इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण है जिन्होंने गुरु की कृपा से विश्व को जीता है।*
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देव महेश्वर:।
गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मे श्री गुरुवे नमो नमः।।
*गुरु को साक्षात परम ब्रह्म कहा गया है ।गुरु एवं माता-पिता का स्थान ईश्वर से ऊपर है ।सदैव पूजनीय है। गुरु स्वयं तपकर अपने शिष्य को प्रकाशमय बनाता है ।अतः सभी मनुष्य के जीवन में गुरु की कृपा, गुरु की महिमा अनंत अपार है, इसलिए उन सभी गुरुदेव को कोटि-कोटि प्रणाम है।

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