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सिर्फ झिल्ली याने लेमिनेशन को खोलकर बिना उक्कन खोले जैसे के तैसे बंद डिबे को रख देने से इसमें से निकलने याले सल्फर गैस से समस्त चूहा, मच्छर, कॉकरोच, खटमल एवं दीमक का नाश हो जाता है,

सिर्फ झिल्ली याने लेमिनेशन को खोलकर बिना उक्कन खोले जैसे के तैसे बंद डिबे को रख देने से इसमें से निकलने याले सल्फर गैस से समस्त चूहा, मच्छर, कॉकरोच, खटमल एवं दीमक का नाश हो जाता है,

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सिर्फ झिल्ली याने लेमिनेशन को खोलकर बिना उक्कन खोले जैसे के तैसे बंद डिबे को रख देने से इसमें से निकलने याले सल्फर गैस से समस्त चूहा, मच्छर, कॉकरोच, खटमल एवं दीमक का नाश हो जाता है, धन्यवाद !

विशेपता-

1- यह औपधि करीब 1500 वर्गफुट याने करीब 10 कमरे में फैलकर सभी चूहा, मच्छर, कॉकरोच, खटमल दीमक को मारता है एवं यह औपधि करीब 37 दिन याने सवा माह तक घर की रक्षा इन मच्छर बंधुओं से करता है।

2- यह औपधि चूहों को करीब 7 दिन, मच्छर को दो दिन, कॉकरोच को तीन दिन खटमल को 2 दिन एवं अंत में दीमक को 5 दिन में साफ कर देता है, जिसमें सभी आतंकी जीय बाहर जा कर ही दम तोड़ते हैं क्योंकि इस औपधि से उत्पन्न सल्फर गैस इन जीवों को नींद नहीं आने देता है, जिससे 4 दिनों में इनकी मौत बाहर जाकर ही होती है। इस औपधि से उत्पन्न सल्फर याने गंधक जिसमें गंध होता ही नहीं है, को आम इंसान नाक से पकड़ ही नहीं सकता है परंतु चूड़े, मच्छर, कॉकरोच, खटमल इसको इसलिए पकड़ लेते हैं क्योंकि इनके सूंघने की शक्ति मानव से करीब 22 गुना ज्यादा होता है। इससे उत्पन्न सल्फर गैस आम इंसान को नुकसान ना पहुंचाकर इन मच्छर बंधुओं को ही नुकसान इसलिए पहुंचाते हैं क्योंकि इनके बॉडी में हार्मोन्स की कमी होव्री है जबकि इंसान, गाय, मिट्टू, कुत्ता, कछुआ इनके शरीर में हामोन्स की कमी नहीं होने की वजह से ये गैस कभी भी नुकसान इनको नहीं पहुंचाते हैं बल्कि इनके लिए स्वास्थ्यवर्धक का काम करता है, धन्यवाद !

3- एक मच्छर एक घंटे में करीब 1000 बच्चे, खटमल 500 बच्चे, कॉकरोच 350 बच्चे पैदा करते हैं, जिसकी वजह से इनका नाश बहुत ही कठिन हो जाता है, क्योंकि इस औपधि के द्वारा इनका नाश होने करने के बावजूद इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखकर इस औपधि के द्वारा इनके जन्म स्थान याने गंदगी को भी साफ करने के कारण कुछ ज्यादा वक्त लग जाता है इस औषधि को प्रभावी होने में क्योंकि ये सभी मच्छर बंधुओं को मारता है ना कि सिर्फ भगाता

है. पुनः धन्यवाद !

4- जिस जगह पर ये आयुर्वेदिक औपधि रहती है वहां पर सल्फर गैस चारों तरफ फेल जाने के कारण सर्प इसको 35 मीटर दूर से, तेन्दुआ इसको 100 मीटर दूर से अपने लार के माध्यम से पकड़ लेता है, जिससे की इस सल्फर के कारण इनको चक्कर आने लगता है एवं कम दिखने के कारण बैचेनी के कारण ये इस आयुर्वेदिक औपधि रखे हुए जगह पर जाते ही नहीं है जिससे जिन्दगी सुरक्षित हो जाती है क्योंकि तेन्दुआ दिन में भी निकल जाता है।

5- सांप के कटे हुए व्यक्ति को यदि इस आयुर्वेदिक औपधि के एक ढक्कन औपधि को पानी में घोलकर पिला देंगे तो इसके तुरंत प्रमाय स्वरूप उसके जीवन से इस सर्प के जहर का असर करीब 93 प्रतिशत कम हो जाता है एवं बचे हुए सात प्रतिशत के जहर को शरीर खुद न्यूट्लाईज याने खतम कर सकता है, जिससे जीवन बच सकता है परंतु ऐहतियातन डॉक्टर से जरूर इसका ईलाज करवाते रहिएगा क्योंकि कभी कभी इस प्रकार के घटना के कारण व्यक्ति के नब्ज में कमजोरी के कारण तुरंत मौत हो जाता है, जिसके लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो हमें कतई मंजूर नहीं है, धन्यवाद !

6- अंत में इस औपधि के नाईफ खतम होने उपरांत याने करीब खुलने के 37 दिनों बाद इस औपधि को टिंचर आयोडीन के रूप में फोड़ों, फुंशी एवं जले हुए भाग की सफाई में किया जा सकता है जिससे फोड़े फुंशी तुरंत ठीक हो सकते हैं, क्योंकि ये औपधि आयुर्वेदिक होने के कारण टिंचर आयोडीन / डेटॉल से करीब 7 गुना ज्यादा प्रभावी के साथ

स्वास्थ्य वर्धक भी है।

7- अंत में, इस औपधि को घर में रखने से इससे उत्पन्न सल्फर गैस इम्यूनिटी याने भूख को बढ़ाता है, कमजोर हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के साथ छत पर रखे हुए टंकी के पानी में घुलने के कारण टंकी के पानी को शुद्ध कर देता है, जिसके कारण आप वॉश बेसिन के पानी को भी पी सकते हैं, जिससे पानी की ज्यादा मात्रा खपत नहीं होती है क्योंकि सभी पानी पीने योग्य बना देता है जिससे एक्वा गार्ड की घर में जरूरत नहीं होती है क्योंकि एक्वा गार्ड में केमिकल को मिलाया जाता है जबकि ये औपधि आयुर्वेदिक होने के कारण स्वास्थ्य वर्धक एवं कामयाब तरीका है. एवं अंत में इसके उपयोग से घर के माहौल में नमी याने यदि पूरा घर स्वास्थ्यवर्धक ना होकर कमजोरी का कारण याने बीमार माहौल होता होगा तो तुरंत उस माहौल को साफ करके स्वास्थ्य वर्धक बना देता है जिससे बीमारी से राहत बन

सकता है

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