1904 में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं सुंदरलाल शर्मा द्वारा स्थापित सार्वजनिक वाचनालय के उन्नयन हेतु मुख्यमंत्री से मांँग 

1904 में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं सुंदरलाल शर्मा द्वारा स्थापित सार्वजनिक वाचनालय के उन्नयन हेतु मुख्यमंत्री से मांँग 

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✍️ लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव संवाददाता विक्रम कुमार नागेश की रिपोर्ट गरियाबंद छत्तीसगढ़ 

गरियाबंद _आज से 144 साल पहले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छत्तीसगढ़ के गांँधी पंडित सुंदरलाल शर्मा जी का जन्म हुआ था जिसने 1904 में जनजागरण के उद्देश्य से राजिम में सार्वजनिक वाचनालय की स्थापना की उस समय हमारे देश में अँग्रेजों का शासन था

यह वाचनालय छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक विरासत और अनमोल धरोहर के रूप में है  जहाँ उनके द्वारा रचित अनेक पांडुलिपियों , कहानियों एवं अन्य दुर्लभ साहित्यों का संग्रह है । अतः छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस वाचनालय का समुचित उन्नयन करके शर्मा जी के विचारों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने, युवा पीढ़ी को राष्ट्र भक्ति की ओर प्रेरित करने के लिए इसे एक स्त्रोत केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।

इसी तरह पूरे देश विदेश में पंडित सुंदरलाल शर्मा जी की विरासत को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय श्री विष्णु देव साय जी,उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा जी और राजिम विधायक श्री रोहित साहू जी को माँग पत्र सौंपकर इस विषय से अवगत कराया गया । जिसमें माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी द्वारा पहल करने की स्वीकृति दी गई

इस सार्वजनिक वाचनालय के समुचित उन्नयन हेतु मुख्यमंत्री को माँग पत्र सौंपने वालों में प्रमुख थे श्री विवेक शर्मा प्रभारी राष्ट्रीय आई टी सेल ,श्री विकास शर्मा प्रपौत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा एवं डाॅ मुन्नालाल देवदास राष्ट्रपति एवं राज्यपाल पुरस्कृत सेवानिवृत्त प्रधान पाठक , साहित्यकार व समाजसेवी।

डाॅ देवदास के संदर्भ में बताना चाहेंगे कि 2007 में वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं सुंदर लाल शर्मा की जीवनी पर काव्यांजलि प्रकाशित किए । 2021 – 22 में शर्मा जी पर केन्द्रित प्रथम गीत लिखे – ‘ छत्तीसगढ़ के सपूत बेटा पंडित सुंदरलाल ‘ जो यूट्यूब में रिलीज हुआ। जिसे The Iedial Indian Book of Record का खिताब मिला। इसी प्रकार 2023 में राष्ट्र निर्माण में पं सुंदरलाल शर्मा के योगदान को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से निःशुल्क काव्य लेखन प्रतियोगिता कराए, विजेता प्रतिभागियों को सम्मान राशि और प्रशस्ति पत्र दिए । साथ ही काव्य संग्रह का विमोचन पंडित सुंदरलाल शर्मा की जयंती पर उनकी जन्मभूमि चमसूर में कराए।

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