जल जीवन मिशन योजनांतर्गत पानी टंकी उड़िसा व छत्तीसगढ़ राज्य का बहुत तफात अंतर दिखाई पड़ती है

जल जीवन मिशन योजनांतर्गत पानी टंकी उड़िसा व छत्तीसगढ़ राज्य का बहुत तफात अंतर दिखाई पड़ती है

इन्हे भी जरूर देखे

✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

 

जल जीवन मिशन योजनांतर्गत पानी टंकी उड़िसा व छत्तीसगढ़ राज्य का बहुत तफात अंतर दिखाई पड़ती है

 

गरियाबंद–:– जल जीवन मिशन केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में से एक है जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों को घरों में रहते हुए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता हेतु यह योजना केन्द्र सरकार ने पूरे देश में लागू कर रही है। इस योजना से ग्रामीण जनताओं को बूंद बूंद की पानी अपने घरों में घरेलू उपयोग में लाई जाने यह महत्वपूर्ण योजना है। चुकी ग्रामीणांचलों के कुछ ऐसे पारा मोहल्ले है जहां तीन चार सौ की जनसंख्याओ में बसाहट करते हैं। सरकार नलकूपों की व्यवस्था तो कर दिया है।किंतु एक नलकूप में दो तीन सौ परिवारों को जल की पूर्ति में कमी होती है, महिलाओं को कभी तो ऐसा भी हो जाया करता है ,कि एक दो किलोमीटर की दूरी तय कर पानी लाने के लिए जाना मजबूरी हो जाती है।
तमाम भौतिक सुख सुविधाओं को लेकर केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन योजना लागू किया गया है।जब जमीनी हकीकत देखने के लिए राजधानी से जनता तक जिला संवाददाता ने छत्तीसगढ़ राज्य में जल जीवन मिशन की कार्य प्रणाली को देखते हुए उड़िसा राज्य में चल रही जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य-प्रणाली दोनों राज्यों का कार्य प्रणाली को जब तुलना किया गया तो उड़िसा राज्य में जल जीवन मिशन योजना को बहुत ही संवेदनशील व गुणवत्तायुक्त कार्य करवाया जा रहा है। जबकि दोनों राज्यों में केंद्र सरकार जल जीवन मिशन योजना को लागू किया गया है। आखिर ऐसा क्या वजह है जो कि छत्तीसगढ़ राज्य में जल जीवन मिशन योजना से बनाई जा रही पानी टंकी को लम्बाई में कमी कर दी जा रही है। जबकि उड़िसा राज्य में पानी टंकी विशाल अधिक ऊंचाई वाली बनाई जा रही है, ऐसा तफात अंतर क्यों? ओर क्या वजह है, जोकि छत्तीसगढ़ राज्य की जल जीवन मिशन योजना को नाम मात्र दिखावा की तरह कार्य निर्माण किया जा रहा है। जिस- जिस गांवों में जल जीवन मिशन योजना का कार्य पूर्ण हो चुके है, वहीं आज दिन पर्यन्त तक ग्रामीण जनताओं को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।जिस गांवों में जल जीवन मिशन योजना को लेकर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के माध्यम से 2 समय सुबह व शाम को पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराई जा रही है। जल से संकट ऐसे कुछ गांव है जहां बूंद बूंद पानी पीने के लिए तरस खा रहे हैं। जंगली इलाकों में रहने वाले आदिवासी परिजनों को सुखी पत्ती कुएं में पड़ी सड़ी गली अस्वच्छ जल को मजबूरी में पीने को बाध्य हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा जंगल में आदिवासी जन जीवन को जल की किल्लत से दूर दर ठोकरें खा रहे हैं।उसी तरह छोटे छोटे कस्बे में निवासरत जन जीवन जगत जल के लिए त्राहि-त्राहि मच गई है। उधर ठेकेदार जो इस कार्य को बनाने के लिए शासन प्रशासन से निलामी में ले कर कार्य कर तो रही हैं, लेकिन गुणवत्ताहीन कार्य हो रहा है जल जीवन मिशन कार्य में निखार नहीं आ रहा है। सीधे लीपापोती कर कागजों में गुणवत्ता युक्त बताई जा रही है। ओर करोड़ों रुपए को बंदर बांट कर सरकार को धोखा दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार मोदी की गारंटी योजना को तथा उनके कार्य छब्बी को धुमिल करने में निलामी ठेकेदार कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। दरअसल बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य के प्रति कम अनुभवी व्यक्ति रहते हैं।जिसे देख कर शत् प्रतिशत फायदा ठेकेदार उठाने में बड़ी कुशलता से कामयाब होते हैं।

इसी तरह गांवों में पुल पुलिया निर्माण कार्य में भी दर्जनों ठेकेदार पुलिया निर्माण कार्य को लीपापोती कर लाखों करोड़ों रुपए को हड़प लिया जाता है।
पुलिया निर्माण कार्य ऐसे जगहों पर बनाया जा रहा है। जहां न आम नागरिकों का आवाजाही होती है और न ही किसी तरह का सुख सुविधाएं मिलती है।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इन्हे भी जरूर देखे

Must Read