राजनीति नहीं, सेवा है समाज का असली धर्म” — स्वर्णकार समाज के युवा चन्दन सोनी ने दिया जागरूकता का बिगुल सामाजिक एकता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर दिया ज़ोर, कहा – “अब मोहरे नहीं, प्रहरी बनिए!”

राजनीति नहीं, सेवा है समाज का असली धर्म” — स्वर्णकार समाज के युवा चन्दन सोनी ने दिया जागरूकता का बिगुल सामाजिक एकता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर दिया ज़ोर, कहा – “अब मोहरे नहीं, प्रहरी बनिए!”

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

“राजनीति नहीं, सेवा है समाज का असली धर्म” — स्वर्णकार समाज के युवा चन्दन सोनी ने दिया जागरूकता का बिगुल

सामाजिक एकता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर दिया ज़ोर, कहा – “अब मोहरे नहीं, प्रहरी बनिए!”

देवभोग –:–जब पूरा देश जातिगत समीकरणों और राजनीतिक खेमेबाजी के बीच अपनी सामाजिक पहचान खोज रहा है, ऐसे समय में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से स्वर्णकार समाज के एक युवा ने ऐसा वक्तव्य दिया है जिसने न केवल पूरे समाज को झकझोर दिया, बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर दिया है।

चन्दन सोनी, जो वर्षों से समाजसेवा में सक्रिय हैं, उन्होंने एक सार्वजनिक मंच पर बेहद सशक्त और धारदार शब्दों में कहा:

* *“समाज की उन्नति सेवा से होती है, राजनीति से नहीं! हमें अपने समाज को राजनीतिक मोहरे बनने से बचाना होगा और शिक्षा, संगठन और आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा।”*

उनकी यह बात न केवल स्थानीय समाज में, बल्कि आसपास के जिलों में भी चर्चा का विषय बन गई है।

*राजनीति से मोहभंग, समाज के प्रति दृढ़ संकल्प*

चन्दन सोनी ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि राजनीति के बहाने समाज को बांटा जा रहा है।

* *“हर चुनाव में हमारे समाज को वादा किया जाता है — टिकट, पद, सम्मान। लेकिन परिणाम? न समाज संगठित होता है, न युवाओं को दिशा मिलती है। अब समय है कि हम नेताओं के पीछे नहीं, विचारों के पीछे चलें। अपने भीतर नेतृत्व जगाएं, सेवा को धर्म बनाएं।”*

यह बयान उस समय आया है जब कुछ राजनीतिक दल स्वर्णकार समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन चन्दन सोनी की बातों से यह स्पष्ट है कि समाज अब जागरूक हो रहा है और उसकी प्राथमिकताएँ बदल रही हैं।

*”पहचान चाहिए? तो शिक्षा लो, स्वरोज़गार अपनाओ, संगठित बनो!”*

अपने संदेश में उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा –
* *“अब हमें सिर्फ स्वर्णकार होने पर गर्व नहीं करना है, बल्कि अपने काम, अपने विचार, अपने आत्मबल पर भी गर्व करना सीखना है। जो पढ़ा-लिखा, आत्मनिर्भर और संगठित होता है, उसे कोई दल कमजोर नहीं कर सकता। हमें सशक्त बनना होगा – आर्थिक रूप से भी और वैचारिक रूप से भी।”*

श्री सोनी ने ‘शिक्षा’ को समाज की रीढ़ बताया और कहा कि आज के युवा अगर पढ़-लिखकर स्वरोज़गार को अपनाएं तो न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि समाज की स्थिति भी सुदृढ़ होगी।

*समाजसेवा को बताया सर्वोच्च धर्म*

एक और बड़ी बात जो उनके वक्तव्य में उभरी वह थी – समाजसेवा को धर्म बनाना।

* *“मंदिर बनवाना धर्म नहीं, किसी गरीब बच्चे की फीस भर देना धर्म है। राजनीति में पोस्ट लेना धर्म नहीं, किसी वृद्ध को सहारा देना धर्म है। आज अगर हम अपनी जाति, अपने समाज के लिए एक हाथ बढ़ाएं, तो कई पीढ़ियां संभल जाएंगी।”*

इस सोच ने समाज के वरिष्ठजनों को भी प्रभावित किया है। कई बुजुर्गों ने उनके विचारों को आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बताया है।

*स्वर्णकार समाज में बढ़ती एकता की उम्मीद*

चन्दन सोनी के इस वक्तव्य के बाद सोशल मीडिया पर #स्वर्णकार_एकता और #समाजसेवा_ही_धर्म जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। युवाओं के बीच यह चर्चा है कि अब समय आ गया है जब समाज को संगठित रूप से आगे लाया जाए।

गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर और बलौदाबाज़ार जिलों से समाज के लोगों ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि श्री सोनी जैसे युवाओं को नेतृत्व में आगे लाना चाहिए।

*एक युवा की आवाज़, समाज के हज़ारों दिलों की धड़कन बन रही है*

चन्दन सोनी का यह वक्तव्य कोई राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि एक पीड़ित, चिंतित और जागरूक युवा समाजसेवी की सच्ची पुकार है। जब वे कहते हैं,

“हम मोहरे नहीं, प्रहरी बनेंगे,”
तो यह महज शब्द नहीं, बल्कि आने वाले समय की दिशा तय करने वाली सोच है।

स्वर्णकार समाज को आज ऐसे ही नेतृत्व की ज़रूरत है – जो न बिके, न झुके, सिर्फ समाज की भलाई के लिए खड़ा रहे।

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