गोड़ समाज ने मनाया रानी दुर्गावती बलिदान दिवस अतिथियों का स्वागत गमछा,एवम पीला चांवल का टीका लगाकर किया गया।

गोड़ समाज ने मनाया रानी दुर्गावती बलिदान दिवस अतिथियों का स्वागत गमछा,एवम पीला चांवल का टीका लगाकर किया गया।

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

 

गोड़ समाज ने मनाया रानी दुर्गावती बलिदान दिवस

अतिथियों का स्वागत गमछा,एवम पीला चांवल का टीका लगाकर किया गया।

छुरा/गिधनी–:–अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद इकाई छुरा के तत्वधान में 24 जून को महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती शहादत दिवस जिला स्तरीय छुरा नगर के उन्मुक्त खेल मैदान में मनाया गया।अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद छुरा के सभी सामाजिक पदाधिकारियों, एवम जनप्रतिनिधि की देन है की आज उनके सोच एवम विचार को अमल में लाने अवसर मिला जो बीते एक वर्ष पूर्व छुरा नगर के मुख्य मार्ग पर दस फीट ऊंची रानी दुर्गावती की प्रतिमा स्थापित की गई।जिला स्तरीय कार्यक्रम में सभी देवतुल्य सगा समाज प्रमुख पदाधिकारी मातृशक्ति, पितृशक्ति,युवा युवती, कर्मचारी,बड़ी संख्या में आदिवासी वेशभूषा सामाजिक संस्कृति, परंपरा से सुसज्जित होकर इस पुनीत कार्य का हिस्सा बने। उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत सम्मान पीला चांवल का टीका एवम गमछा पहनाकर किया गया।तत्पश्चात उपस्थित सभी अतिथियों द्वारा समाज के आराध्य बुढ़ादेव,वीरांगना महारानी दुर्गावती प्रतिमा की सेवा जोहार करते हुए वीरता, शौर्य, पराक्रम की जयघोष नारो के साथ श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया गया। इसके पश्चात भव्य जल कलश यात्रा छुरा नगर भ्रमण करते हुए वापस रानी दुर्गावती की चौक में समाप्त की गई।
रानी दुर्गावती अदम्य साहस का प्रतीक
समाज प्रमुखों ने कहा की महारानी दुर्गावती पूरे समुदाय के लिए एक प्रेरणा है उनके योगदान को उनके बलिदान को नमन है। आज के इस दिन को पूरा देश उनकी वीरता पराक्रम की गौरव गाथा को याद करते है।ऐसे कई हमारे समाज में महान क्रांतिकारी हुए जिन्होंने देश को आजादी दिलाने बहुत बड़ा योगदान दिया हम सबको जीने का एक मार्ग प्रशस्त किया आज उसी का परिणाम है हम सब एक है।महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती सभी समाज के लिए आइना है उनके वीरता, साहस, शौर्य की गाथा को नमन है, प्रणाम है।आदिवासी समाज के लिए 24 जून बहुत बड़ा दिन है, रानी दुर्गावती अदम्य साहस का प्रतीक है जिन्होंने न केवल आदिवासी बल्कि पूरे जाति समुदाय के लिए डटकर मुकाबला किया।जिन्होंने नारी सम्मान के लिए वीरता की एक मिशाल पेश की है,भारत देश के गौंड राजवंश की महान रानी दुर्गावती को उनके अध्दूत साहस और बलिदान के लिए याद किया जाता है।उन्होंने मुगल सेना से अपनी मातृभूमि और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दिया उनके योगदान को शहादत को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते है रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को उत्तरप्रदेश के बांदा स्थित कालिंजर किले में हुआ था।वे राजा कीर्तिसिंह चंदेल की इकलौती संतान थीं। दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया।उनका विवाह गोंडवाना राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था।पति की असमय मृत्यु के बाद रानी ने मात्र 3 वर्षीय पुत्र नारायण के साथ शासन की बागडोर संभाली और गढ़मंडला (जबलपुर) से राज किया। 1564 में जब मुगल सम्राट अकबर की सेना ने राज्य पर आक्रमण किया तब रानी ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर युद्धभूमि को चुना।उन्होंने कई बार मुगलों को पीछे हटाया,लेकिन अंत में 24 जून 1564 को युद्ध भूमि में स्वयं अपने कटार से बलिदान देकर इतिहास में अमर हो गईं।बच्चों के द्वारा रंगारंग आदिवासी नृत्य किया गया।
*कार्यक्रम में ये रहे मौजूद*
मानसिंह दीवान अ.भा.आ.समाज संरक्षक,ओंकार शाह अध्यक्ष पूर्व विधायक क्षेत्र बिंद्रानवागढ़, विशेष आमंत्रित सदस्य यशपेंद्र शाह, पन्नालाल ध्रुव प्रांताध्यक्ष ध्रुव गोंड समाज,पूरण सिंह ठाकुर अध्यक्ष ध्रुव गोंड समाज,गंगाराम नेताम सलाहकार समाज प्रमुख , परदेशीराम ध्रुव सलाहकार,भगवान सिंह उईके कलेक्टर गरियाबंद, जे.आर.मरकाम सीईओ जिला पंचायत गरियाबंद,अधिकारी कर्मचारी संघ के जिला संयोजक नर्सिंग ध्रुव, उमेंदी कोर्राम अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद गरियाबंद, महेंद्र नेताम संरक्षक, लोकेंद्र कोमर्रा महासचिव अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा,सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश कार्यकारिणी नीलकंठ ठाकुर, अध्यक्ष पेशा ग्रामसभा यशवंत सोरी सहित जिला के आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थिति थे।

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