आईएसबीएम विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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आईएसबीएम विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

छुरा/गिधनी–:–आईएसबीएम विश्वविद्यालय, नवापारा (कोसमी) जिला गरियाबंद द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती समारोह के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।यह संगोष्ठी “सतत विकास,समृद्ध विरासत : चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ” विषय पर केंद्रित था जिसमें देशभर के लगभग नब्बे शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, पर्यावरणविदों, नीति-निर्माताओं और विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
इस कार्यक्रम में जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मीरा ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती लुकेश्वरी निषाद, नवापारा के सरपंच श्री लेखराज ध्रुवा, शासकीय कचना ध्रुवा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एच सी पटेल, सहाक आचार्य डॉ डीआर साहू, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ गजेंद्र साहू, छुरा नगर पंचायत के अनेक पार्षद,विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ एन कुमार स्वामी उपस्थित थे।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार ने की।
कचना ध्रुवा कॉलेज, छुरा के प्राचार्य डॉ चंद्रहास पटेल ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विश्वविद्यालयों, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ी, साक्षरता दर में सुधार आया।अब चुनौती है – शिक्षा की गुणवत्ता, शोध और नवाचार को बढ़ाना।आने वाले 25 वर्षों में डिजिटल शिक्षा कौशल विकास और स्थानीय भाषा में उच्च शिक्षा की संभावनाएँ प्रदेश को ज्ञान-आधारित समाज में बदल सकती हैं।जनपद अध्यक्ष छुरा श्रीमती मीरा ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य का समावेशी विकास तभी संभव है जब महिला,आदिवासी और युवा समूह राजनीति एवं आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती हमारे लिए गौरव और आत्ममंथन का अवसर है।पिछले 25 वर्षों में राज्य ने शिक्षा, कृषि, उद्योग, संस्कृति और शासन व्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति की है।यह हमारे सामूहिक प्रयासों और जनभागीदारी का परिणाम है।नगर पंचायत अध्यक्ष छुरा श्रीमती लुकेश्वरी निषाद ने कहा कि रजत जयंती केवल उत्सव नहीं, यह आत्मविश्लेषण और भविष्य के लिए रूपरेखा तैयार करने का अवसर है।काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सहायक आचार्य डॉ गजेंद्र साहू ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में विकास की रफ्तार तेज हुई, लेकिन इसके साथ ही वनों की कटाई और प्रदूषण भी बढ़ा।आने वाले समय में सबसे बड़ी चुनौती होगी – विकास और पर्यावरण का संतुलन।यदि हम नवीकरणीय ऊर्जा, जल-संरक्षण और वन संरक्षण पर ध्यान दें, तो छत्तीसगढ़ आने वाले 25 वर्षों में हरित राज्य की पहचान पा सकता है।कचना ध्रुवा कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ डीआर साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने 25 वर्षों में इस्पात, सीमेंट और ऊर्जा उत्पादन में देश-भर में पहचान बनाई है।अब चुनौती है पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन। अगले 25 वर्षों में हरित उद्योग,आईटी, स्टार्टअप और पर्यटन उद्योग की संभावनाएँ प्रदेश को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बना सकती हैं।लेखराज ध्रुवा ने कहा कि हमने 25 वर्षों में सड़क, बिजली और संचार को गाँव-गाँव तक पहुँचते देखा। मगर अब भी पलायन, बेरोजगारी और कृषि पर निर्भरता ग्रामीण जीवन की कठिनाइयाँ हैं।आने वाले 25 वर्षों में ग्रामीण पर्यटन, लघु उद्योग और आधुनिक कृषि तकनीक से गाँव आत्मनिर्भर बन सकते हैं।इस अवसर पर छुरा के नगर पार्षद भोलेशंकर जायसवाल,बलराज पटेल सहित कई पार्षद उपस्थित थे।
इससे पहले अतिथियों ने विश्वविद्यालय में पुस्तक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ दिवाकर तिवारी ने किया था तथा सह संयोजक के रूप में सुश्री भामती साहू एवं आयोजन सचिव श्री रमेश कुमार नायक थे।इस कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ एन कुमार स्वामी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ शुभाशीष बिस्वास ने दिया।कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक आचार्य लक्ष्मीकांत सिन्हा एवं सुकृति पाठक ने किया।

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