धनोरा में 300 बोरी अवैध धान जब्त एसडीएम बोले- इस बार कोई नहीं बचेगा।

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धनोरा में 300 बोरी अवैध धान जब्त एसडीएम बोले- इस बार कोई नहीं बचेगा

धान माफियाओं पर प्रशासन की कार्रवाई

अमलीपदर। रविवार को मैनपुर

एसडीएम डॉ. तुलसीदास मरकाम के नेतृत्व में धनोरा ग्राम में 300 बोरी अवैध धान जब्त किया गया। इस मौके पर डॉ. मरकाम ने कहा सरकार की खरीदी शुरू होने से पहले ही जी लोग नियम तोड़कर धान का अवैध व्यापार कर रहे हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। सीमा क्षेत्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि ओडिशा से आने वाला अवैध धान राज्य में प्रवेश न कर सके।

प्रशासन को मिली सूचना पर यह कार्रवाई की गई। टीम ने गुंचू उर्फ गया राम यादव के घर में छापा मारा, जहां से भारी मात्रा में धान बरामद हुआ। पूछताछ में सामने आया कि यह धान गांव के ही

महादेव पिता गजानन ने वहां रखवाया था, जबकि महादेव ने बताया कि विक्की नामक व्यक्ति ने उसे धान रखने के लिए कहा था। अब प्रशासन इस पूरे नेटवर्क की जांच में जुट गया है।

गुंचू यादव ने कहा कि गांव के महादेव ने कुछ दिनों के लिए मेरे नए घर में धान रखने को कहा था, मुझे नहीं पता था कि

फर्जी गिरदावरी से च रहा करोड़ों का खेल

इस साल क्षेत्र में लगातार बारिश और कीटों के कारण धान उत्पादन में भारी गिरावट आई है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में कई किसानों के नाम पर अधिक उत्पादन दिखाया समितियों के कर्मचारी तस्करों से मिलकर किसानों जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ सहकारी के प‌ट्टों का दुरुपयोग करते हैं और उड़ीसा से आया धान उन्हीं के नाम पर वैध बनाकर खरीदी केंद्रों में बेच दिया जाता है। देवभोग-मैनपुर और अमलीपदर इलाका पिछले कई वर्षों से धान तस्करी का गढ़ बना हुआ है। हर साल कार्रवाई तो होती है, पर कुछ समय बाद फाइलें ठंडी पड़ जाती हैं और नेटवर्क फिर से सक्रिय हो जाता है। जानकारों का कहना है कि इस बार प्रशासन का रुख कुछ अलग है मगर यह जाल तोड़ने के लिए केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि प्रणालीगत सुधार की भी जरूरत होगी।

ग्रामीणों की माँग भ्रष्ट कर्मचारियों पर गिरे गाज

स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि सहकारी समितियों में कार्यरत संदिग्ध कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए और सीमा चौकियों पर निगरानी बढ़ाई जाए। उनका कहना है कि जब तक अंदर के लोग पकड़े नहीं जाएंगे, तब तक बाहरी धान की तस्करी नहीं रुक पाएगी।

वह अवैध है। यह बयान प्रशासन की शंका को और गहरा कर रहा है। अधिकारियों का मानना है कि धान माफिया अक्सर भोले

भाले ग्रामीणों के नाम और मकान का इस्तेमाल अपने काले कारोबार के लिए करते हैं ताकि खुद पर शक न आए।

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