नई शिक्षा नीति अंतर्गत विद्यार्थियों का अध्यादेश 14(1) और 14(2) का प्रशिक्षण प्रारंभ

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खरगोन–: – नई शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के क्रियान्वयन को लेकर उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी अध्यादेश 14(1) और 14(2) के अंतर्गत पीजी कॉलेज खरगोन में विद्यार्थियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जी.एस. चौहान के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में किया गया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस खरगोन के विद्यार्थियों के लिए 27 से अक्टूबर 8 नवंबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति नोडल अधिकारी डॉ. जियालाल अकोले ने विद्यार्थियों को अध्यादेश के विभिन्न प्रावधानों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अध्यादेश 14(1) विद्यार्थियों के समग्र विकास और व्यावहारिक अनुभव आधारित शिक्षा पर बल देता है। इसके अंतर्गत अब प्रत्येक विद्यार्थी को प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप, फील्ड विजिट, और सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में सक्रिय भागीदारी करनी होगी। उन्होंने बताया कि यह बदलाव केवल अंक आधारित शिक्षा से हटकर सीखने की प्रक्रिया को अनुभव और प्रयोग से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है।
डॉ. अकोले ने कहा कि अध्यादेश 14(2) के तहत अब विद्यार्थियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन सतत आंतरिक मूल्यांकन (Continuous Internal Assessment) के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें उनकी उपस्थिति, सहभागिता, परियोजना प्रस्तुति, एवं कौशल प्रदर्शन को महत्व दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि “नई शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को रोज़गारयोग्य, स्वावलंबी और नवाचार-समर्थ नागरिक बनाना है। इसके तहत अब विद्यार्थी को अपने विषय के साथ-साथ लोकल नॉलेज, जीवन कौशल, पर्यावरण जागरूकता और उद्यमिता के अवसरों से भी जोड़ा जा रहा है।”
डॉ. गणेश पाटिल ने विद्यार्थियों को परियोजना कार्य से जुड़ी दिशा-निर्देश, रिपोर्ट लेखन, डेटा संकलन एवं मूल्यांकन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि परियोजना कार्य से विद्यार्थियों में अनुसंधान की प्रवृत्ति और समस्या समाधान की क्षमता विकसित होगी। डॉ. राजू देसाई ने नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में किए गए नवीन बदलावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब विद्यार्थियों को वैकल्पिक विषयों की स्वतंत्रता, बहु-विषयक अध्ययन, और कौशल आधारित शिक्षा का अवसर मिलेगा। वहीं डॉ. रमेश चौहान ने विद्यार्थियों को विषयवार प्रशिक्षण की रूपरेखा, अध्यायवार अध्ययन सामग्री, और शिक्षण-पद्धति में अपनाए जाने वाले नये दृष्टिकोणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और नैतिक मूल्यों के संतुलन की दिशा में ले जाएगा।

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