सफलता की कहानी”सुरक्षित मातृत्व सेवाओं ने जीता माँ का भरोसा, वर्षों बाद गूंजी किलकारी

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इंदौर–:– माँ बनना हर स्त्री की सुखद चाह होती है, स्त्री माँ बनकर ही पूर्णता को प्राप्त होती है। 33 वर्षीय नेहा का विवाह हुए 13 वर्ष पूर्ण हो चुके थे, किन्तु उनकी गोद अभी सूनी ही थी, इलाज भी करवाया परन्तु सफलता नहीं मिली। सागर निवासी नेहा अपने पति के साथ काम के सिलसिले में इंदौर आई। आशा कार्यकर्ता गीता झा ने उनसे संपर्क किया, आशा कार्यकर्ता गीता झा ने मल्हारगंज में जॉच करवाई, नेहा गर्भवती थी। गीता ने उसका पंजीयन, गर्भावस्था पूर्व लगातार 06 जांचें मल्हारगंज अस्पताल में करवाई। IFA गोलियों का सेवन, कैल्शियम की गोलियों का सेवन करें, यह ध्यान रखा, पोषण ओर आहार का ध्यान रखा, उसका वैक्सीनेशन करवाया।
नेहा ने आशा कार्यकर्ता को कहा कि मैं इतने वर्षों बाद गर्भवती हुई हूँ और मेरा प्रसव भी जोखिम भरा है, तो मैं निजी चिकित्सालय में प्रसव करवाने की इच्छा रखती हूँ। आशा गीता ने विश्वास दिलाया कि शासकीय चिकित्सालय में निःशुल्क, गुणवत्तापूर्ण और अनुभवी व योग्य चिकित्सकों के द्वारा सुरक्षित प्रसव हो जाएगा।
अंतिम तिमाही में नेहा की जांच महाराणा प्रताप शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बाणगंगा में करवाई। 19 नवम्बर को नेहा को प्रसव पीड़ा प्रारंभ हुई, कार्यकर्ता उसे लेकर शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बाणगंगा पहुंची, जोखिम होने से सीजेरियन ऑप्रेशन की पूरी तैयारी थी। डॉ. शैफाली के नेतृत्व में डॉ. सुषमा बोरीवाल और उनकी टीम ने कहा कि – प्रसव सामान्य भी हो सकता है और 12 वर्षों बाद – गोद भरी, किलकारी गूंजी। जोखिम से भरा प्रसव सामान्य, सुरक्षित एवं सुखद प्रसव में बदला।
शासकीय चिकित्सकों के अथक प्रयास से सुरक्षित सेवाओं और शासन की सुविधाओं ने एक मां के भरोसे को जीता, नेहा एक बेटे की मॉ बनी।

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