रात में 5 घंटे से कम सोने पर मृत्यु दर का जोखिम 12 फ़ीसदी अधिक राजधानी के विशेषज्ञों के पास हर माह आ रहे 100 से अधिक नए मामले

रात में 5 घंटे से कम सोने पर मृत्यु दर का जोखिम 12 फ़ीसदी अधिक राजधानी के विशेषज्ञों के पास हर माह आ रहे 100 से अधिक नए मामले

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक- सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

रात में 5 घंटे से कम सोने पर मृत्यु दर का जोखिम 12 फ़ीसदी अधिक

राजधानी के विशेषज्ञों के पास हर माह आ रहे 100 से अधिक नए मामले

डायबिटीज मोटापा हृदय रोग खराब इम्यूनिटी डिप्रेशन और हारपरटेंशन के मुख्य कारणों में सामने आ रही कम नींद

 

 

विकास जैन

जयपुर. आधुनिक जीवन शैली (lifestyle) , भागदौड़ भरी जिंदगी और असंयमित दिनचर्या के कारण कई लोग रात में अच्छी नींद (good sleep) नहीं ले पाते। कुछ लोग ज्यादा देर तक जागकर काम करते हैं, तो कुछ मोबाइल (mobile) या टीवी के चक्कर में नींद को जबरन टालते हैं। पूरी नींद नहीं लेना रोजमर्रा के कामकाज बल्कि सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इससे जीवन (life) के आठ वर्ष कम हो रहे हैं।

राजधानी (capital) के ईएनटी (ent) और मनोरोग विशेषज्ञों के पास नींद की कमी के कारण चिड़चिड़ापन, थकावट, एकाग्रता, याददाश्त की कमी, डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग, खराब इम्यूनिटी, डिप्रेशन, हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं से ग्रसित मरीज पहुंच रहे हैं। हर विशेषज्ञ के पास हर महीने करीब 100 से अधिक मामले इस तरह के आ रहे हैं।

यह चिंता की बातें

– पांच घंटे या उससे कम सोने वालों में सात घंटे सोने वालों की तुलना में बीमारियों का 30 प्रतिशत अधिक खतरा
– रात में औसतन 5 घंटे से कम सोने से मृत्यु दर का जोखिम 12 प्रतिशत तक अधिक

– रोज़ाना अपर्याप्त नींद घटा सकती है जीवन के 8 वर्ष
– छोटे बच्चों व किशोरों को अधिक नींद की जरूरत

– स्वस्थ वयस्क (healthy adult) लोगों के लिए रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद जरूरी

 

अच्छी नींद के लिए यह करें

– देर रात तक मोबाइल, टी.वी. व इंटरनेट (internet) का इस्तेमाल न करें

– स्लीप शेड्यूल तय करें, रोजाना एक ही समय पर सोएं

– सोने से पहले चाय, कॉफ़ी, सोडा का सेवन नहीं करें

– सोने की जगह आरामदायक और साफ-सुथरी हो

– सोते समय बहुत ज्यादा न सोचें
– नींद नहीं आ रही हो तो खुद पर सोने का दबाव न डालें

– सिगरेट, शराब के सेवन से बचें

सोने से पहले पुस्तक पढ़ें

सोने व जागने का रोज़ाना एक निश्चित समय रहे। रात को सोने से पहले कुछ समय पसंद का साहित्य पढ़ना चाहिए। इससे तनाव व दिनभर की आपाधापी को भुलाने में मदद मिलती है। रात को हल्का भोजन लें।
– डॉ. शुभकाम आर्य, ईएनटी विशेषज्ञ

 

नींद की कमी कई बीमारियों का कारण बन जाती है। एक रात नहीं सोए हो तो इसकी कमी पूरी करने के लिए अगले दिन, दिन में ज़्यादा न सोएं अन्यथा अगली रात भी नहीं सो पाएंगे। दूसरे दिन भी निश्चित समय पर ही उठें।
– डॉ.एम.के.गुप्ता, चेस्ट एवं एलर्जी विशेषज्ञ

पहले रात में मुश्किल से 4-5 घंटे की नींद ही ले पाता था। इसके कारण चिड़चिड़ापन बढता गया। अब रोज 6-7 घंटे की नींद लेता हूं। इससे चिड़चिड़ापन दूर होता जा रहा है।

– पीयूष, टोंक फाटक

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