प्राचीनकाल से चली आ रही कोसरिया महरा समाज की सामाजिक प्रथा “मेहर” पद को पुन: जीवित कर वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज के अध्यक्ष को मेहर पद से मनोनीत किया।

प्राचीनकाल से चली आ रही कोसरिया महरा समाज की सामाजिक प्रथा “मेहर” पद को पुन: जीवित कर वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज के अध्यक्ष को मेहर पद से मनोनीत किया।

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक- सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

प्राचीनकाल से चली आ रही कोसरिया महरा समाज की सामाजिक प्रथा “मेहर” पद को पुन: जीवित कर वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज के अध्यक्ष को मेहर पद से मनोनीत किया।

 

मनुष्य की कल्पना सामाजिक जीवन के बिना की ही नहीं जा सकती है क्योंकि मनुष्य का संपूर्ण विकास तभी हो सकता है जब वह समाज के साथ जुड़ा हुआ रहे। समाज ही वह चीज है जो मनुष्य को सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध करवाता है जो उसके जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस संसार में हर मनुष्य किसी न किसी समाज से जुड़ा हुआ है। हर समाज की अपनी अलग रीति रिवाज, परंपरा, सभ्यता, इतिहास, रहन-सहन और खान-पान है, जिसे समाज द्वारा संजोकर रखा जाता है। आज के आधुनिक युग में भी कई ऐसे समाज है जो प्राचीन काल से अपनी परंपरा, रीति-रिवाज, प्रथा पर चलते हुए समाज को व्यवस्थित संजोए हुए है।

देवभोग:- वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज जिला गरियाबंद द्वारा सावन पूर्णिमा के दिन लुप्त हुए अपने प्राचीन सामाजिक परंपरा से चली आ रही प्रथा “मेहर” को पुनर्जीवित किया गया। यह प्रथा कोसरिया महरा समाज के सामाजिक इतिहास की सबसे प्राचीन प्रथा है। सावन पूर्णिमा के दिन वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज जिला गरियाबंद के मुखिया श्री चंद्रकिशोर कश्यप के निवास ग्राम सरगीगुड़ा में एक उत्सव आयोजन कर समाज के सभी सगाजन, बंधूवर्ग उपस्थित होकर विधिवत कलश स्थापना, दीप प्रज्ज्वलित, हुम धूप से पूजन अर्चन किया गया। पूजा अर्चना के बाद समाज के मुखिया चंद्रकिशोर कश्यप के सिर राजपागा (पागा) बांधकर रक्षा सूत्र के साथ मेहर पद मनोनीत किया गया‌ उत्सव में आए सभी समाजजनों द्वारा मेहर को परंपरागत गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस आयोजन में शामिल होने जिला गरियाबंद के 40-50 गांव मांदी से समाजजन आए हुए थे। इस संबंध में वरिष्ठ कोसरिया महरा समाज के संरक्षक श्री घनश्याम कश्यप ने कहा कि- आज के आधुनिक युग में हम अपनी प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा को पुनर्जीवित कर समाज के रीति-रिवाज, संस्कृति, परंपरा को संजोने का प्रयास किया है। यह हम सबके लिए गर्व कि बात है। इस मौके पर प्रमुख रूप से समाज के सरंक्षक श्री घनश्याम कश्यप, उपाध्यक्ष श्री गंगाधर कश्यप, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डोमार कश्यप, उधोराम कश्यप, सचिव टेकधर कश्यप, कोषाध्यक्ष खिलावन कश्यप, सह सचिव महेन्द्र कश्यप, सलाहकार धनूर्जय कश्यप, लैबानोश्वर कश्यप, डमरूधर कश्यप, तुलाराम कश्यप, टिकेश कश्यप, कामदेव कश्यप, सोदन कश्यप, भगतराम कश्यप, घेनुराम कश्यप, धनेश्वर कश्यप, पदुराम कश्यप, मदनोराम कश्यप, हेमलाल कश्यप, केशरीराम कश्यप, बासुराम कश्यप, त्रिलोचन कश्यप, नाथुराम कश्यप, केशवराम कश्यप, दम्बेश कश्यप, सोदरराम कश्यप, अर्जून कश्यप, मानगोविंद कश्यप, भूवन लाल कश्यप, ललित कश्यप, गिरीश कश्यप समाज के प्रवक्ता चैनसिंह कश्यप, विजय कश्यप व युमेन्द्र कश्यप सहित आस पास के 40 से 50 गांव के मांदी समाज के सगाजन बंधूवर्ग उपस्थित रहे।

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