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सृष्टि के सबसे बड़े और अद्भुत शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा का पर्व बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया

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सृष्टि के सबसे बड़े और अद्भुत शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा का पर्व बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया

मुडा़गांव(कोरासी)ग्राम पंचायत फुलझर में रविवार को भगवान विश्वकर्मा जयंती है।हिंदू पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा प्राकट्य दिवस हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई गया।इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विशेष रूप पूजा-आराधना किया गया है हर साल सृष्टि के सबसे बड़े और अद्भुत शिल्पकार विश्वकर्माजी की पूजा का पर्व बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ माना जाता है।शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा जी सृष्टि के पहले शिल्पकार,वास्तुकार और इंजीनियर हैं।धर्म ग्रंथों के अनुसार जब ब्रह्राजी ने सृष्टि की रचना की तो इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी भगवान विश्वकर्मा जी को दी। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्राा जी के सातवें पुत्र हैं।हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों,कारखानों और विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों और दुकानों आदि की पूजा की जाती है।दरअसल विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है।हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में देवी- देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे इसलिए इन्हें वास्तुकार और निर्माण का देवता कहा जाता है।धार्मिक मान्याताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी ने इंद्रलोक,त्रेता में लंका,द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर,कलयुग में जगन्नाथपुरी आदि का निर्माण किया था।इसके अलावा शिव जी का त्रिशूल,पुष्पक विमान,इंद्र का व्रज और भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्कर्मा वे देवता हैं जो हर काल में सृजन और निर्णाण के देवता रहे हैं।विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना गया है। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं सब भगवान विश्कर्मा की देन है।इस कारण से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं।विश्वकर्मा पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा जी हैं।इस कारण से विश्वकर्मा जयंती पर यंत्रों, दुकानों,कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में लगी कलपुर्जों और मशीनों की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस लोग अपने अलग-अलग प्रयोग में लाने वाले वाहनों की भी पूजा करते हैं।ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा और औजारों की पूजा-अर्चना करने लोगों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बिजनेस और उद्योग-धंधे में लगे लोगों की तरक्की और उन्नति अच्छी होती है।विश्वकर्मा पूजा करने पर व्यापार और निर्माण कार्यों में आने वाली सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं। कारखानों में लगी मशीने पूरे साल सही तरीके से काम करती है।
सबसे पहले विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा का संकल्प लें। इसके बाद कारखानों,प्रतिष्ठानों, औजारों और मशीनों आदि की साफ सफाई करके वहां पर विश्वकर्मा जी की मूर्ति का स्थापित करें।फिर पूजा सामग्री जैसे रोली,अक्षत,फल-फूल और मिठाई से भगवान विश्वकर्मी की पूजा करते हुए उनकी आरती करें।पूजा के दौरान ओम विश्वकर्मणे नमःमंत्र का जप करें।अंत में प्रसाद का वितरण करें।किया गया।इस कार्यक्रम में प्रमुख रुप से वरिष्ठ नागरिक संतुराम ध्रुव,धनेश ध्रुव,किशन समाजसेवी मनोज पटेल,रोशन देवांगन,पुनितराम ठाकुर,रेखराम ध्रुव,मिस्त्री संघ के सभी सदस्य गण एवं ग्रामीण जन उपस्थित थे।

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