धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया

धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया

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धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया

अमलीपदर–:–धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया

धान खरीदी व्यवस्था में लगातार सामने आ रही गड़बड़ियों, किसानों की परेशानी और समिति प्रबंधकों की मनमानी के खिलाफ आखिरकार जिला प्रशासन सख्त हो गया है। लंबे समय से चली आ रही शिकायतों, पत्रकारों द्वारा लगातार विरोध, कई ज्ञापनों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद प्रशासन ने दो बड़े प्रबंधकों पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से मुक्त कर दिया है। यह कार्रवाई खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की तैयारियों से पहले की गई है, ताकि आने वाले सीजन में गड़बड़ियों पर पूरी तरह रोक लग सके।

पहली कार्रवाई धवलपुर सहकारी समिति के डाटा एंट्री ऑपरेटर ऋषिकांत मोहरे पर की गई है, जिन्हें शासन की अनिवार्य धान खरीदी जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान बिना अनुमति हड़ताल पर जाने, लगातार अनुपस्थित रहने और कई बार चेतावनी मिलने के बावजूद कार्य पर उपस्थित न होने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

लेकिन सबसे गंभीर और चर्चित मामला मुड़गेलमाल सहकारी समिति के प्रबंधक शिवकुमार सिन्हा का रहा, जिनके खिलाफ पिछले कई महीनों से भारी विरोध व गंभीर शिकायतें चल रही थीं। उन पर आरोप थे कि—

अमलीपदर के पत्रकारों को जूता-चप्पल दिखाकर अपमानित करना, धमकाना और जान से मारने की धमकी देना।
पत्रकारों ने इस घटना की शिकायत उप संचालक, कलेक्टर, सांसद, और उच्च अधिकारियों को लिखित में की थी, जिसे बेहद गंभीर माना गया।

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार किसानों के पट्टे (दस्तावेज) अपने पास रोककर गलत गतिविधियों में उपयोग करना।

उड़ीसा से अवैध धान मंगवाकर स्थानीय किसानों के नाम पर खरीदी में डालना और इससे बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ कमाना।
यह शिकायतें विभाग तक पहुंच चुकी थीं और लगातार जांच के दायरे में थीं।

किसानों का आरोप था कि समिति में काम बिना पैसे लिए नहीं होता था और प्रबंधक की मनमानी के कारण असली किसानों को धान बेचने में भारी परेशानी होती थी।

इन आरोपों के बाद गरियाबंद जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने साफ चेतावनी दी थी कि यदि शिवकुमार सिन्हा को पद से मुक्त नहीं किया गया, तो जिले के सभी पत्रकार सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह मुद्दा पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बन गया था।

इन सभी पहलुओं को गंभीरता से लेते हुए सहायक आयुक्त, सहकारिता, गरियाबंद ने जांच के बाद शिवकुमार सिन्हा को कर्तव्य में गंभीर चूक, नियम उल्लंघन, अनियमितता और अनुचित बर्ताव के आधार पर पद से हटा दिया।

जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि धान खरीदी में किसी भी प्रकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार या नियमों की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसानों के हित सर्वोपरि हैं और पत्रकारों की सुरक्षा, शिकायतें तथा उनके उठाए सवाल पूर्णतः उचित माने गए।

यह कार्रवाई न केवल प्रशासन की सख्ती का संकेत देती है, बल्कि आने वाले खरीदी सीजन के लिए एक बड़ा संदेश भी है — कि भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी का दौर अब खत्म होगा। गरियाबंद जिला से राजेश जगत की खबर

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