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वासुदेव नागेश शारीरिक विकलांग है स्वास्थ्य शिविर में दस्तावेज जमा किया गया था फिर भी अब तक नहीं मिला विकलांग प्रमाण पत्र

वासुदेव नागेश शारीरिक विकलांग है स्वास्थ्य शिविर में दस्तावेज जमा किया गया था फिर भी अब तक नहीं मिला विकलांग प्रमाण पत्र

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

वासुदेव नागेश शारीरिक विकलांग है स्वास्थ्य शिविर में दस्तावेज जमा किया गया था फिर भी अब तक नहीं मिला विकलांग प्रमाण पत्र

 

गरियाबंद –:–शारीरिक कमजोर जिंदगी भर अपंगता से जीवन व्यतीत कर रहा है बासुदेव नागेश पिता- सूबन नागेश जाति- माली
ग्राम पंचायत -कदलीमुडा़ देवभोग विकास का निवासी है।जोकि सूत्रों के मुताबिक बताई गई जानकारी के अनुसार बासुदेव नागेश जन्म जात शारीरिक विकलांग के रूप में ही जन्मा हुआ है। उनके परिजनों ने बासुदेव को विकलांग शिविरों में ले कर संबंधित दस्तावेज भी जमा किया गया है। फिर भी आज दिन पर्यन्त तक बासुदेव नागेश का विकलांग प्रमाण पत्र जिला चिकित्सालय के द्वारा जारी नहीं किया गया है। बेचारा असहाय व्यक्ति दर दर ठोकरें खाने में है मजबूर चुकी युवा अवस्था में ही चार हाथ पांव कोई कार्य करने में सक्षम नही हो पा रहा है। मूर्ति की तरह वह अपने घरों में बैठे रहता है, आखिर ऐसा कब तक दुखित जीवन जीते रहेगा। शासन -प्रशासन से कुछ मदद लेना चाहता था,लेकिन जिला चिकित्सालय से शारीरिक विकलांग प्रमाण पत्र नहीं मिलने से वह चुप खामोश हो कर बैठ हुआ है। घर के परिजनों का कहना है, कि यदि शासन-प्रशासन के माध्यम से दी जा रही है।विभिन्न योजनाओं से लाभ यदि विकलांग व्यक्ति को नहीं मिल पाता है,तो सरकार कि परिकल्पना सशक्त समाज समृद्ध भारत का संकल्प विचार धारा साधारण सी रह जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म से सूक्ष्म जन समस्या को दूर करने का यथा प्रयास किया जाना चाहिए। गांव में दैनिक दिनचर्या है जैसे कि -पेंशन,राशन, आवास, कुली मज़दूरी, असहाय जनों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में लाभान्वित किया जाना।देवभोग विकास खण्ड में एक बार फिर से विकलांग शिविर आयोजित किया जाना अतिआवश्यक है। चुकी कुछ ऐसे विकलांग जन गांव में है जोकि इन्हें मार्गदर्शन दे कर शासन -प्रशासन कि प्रोफिट में हक दिलाया जाना चाहिए। आज की इस सुखद जीवन यापन व्यतीत चल रही है, फिर भी शारीरिक विकलांग बासुदेव नागेश अपनी युवा अवस्था में घूट- घूट कर दर दर ठोकरें खा कर जीने में मजबूर है। इस लिए वह शासन -प्रशासन से बार- बार गुहार लगा रहा है कि किसी भी प्रकार से विकलांग प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

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