6 चोटिया फतह कर चुकी रिजवाना, एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराना है उनका लक्ष्य अब तक 600 किमी से ज्यादा का पैदल सफर तय कर चुकी

6 चोटिया फतह कर चुकी रिजवाना, एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराना है उनका लक्ष्य अब तक 600 किमी से ज्यादा का पैदल सफर तय कर चुकी

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✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” संवाददाता– अली शेर कादरी की रिपोर्ट नानपारा जनपद बहराइच (उत्तर प्रदेश)

6 चोटिया फतह कर चुकी रिजवाना, एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराना है उनका लक्ष्य
अब तक 600 किमी से ज्यादा का पैदल सफर तय कर चुकी

नानपारा/बहराइच।
साधारण परिवार में जन्मी यूपी के जिला हापुड़ पिलखुआ की निवासिनी रिजवाना खान सैफी ने 7 मार्च को मिशन माउंट एवरेस्ट पदयात्रा की शुरुआत की थी।

लगभग 600 किलोमाटर से अधिक का सफर तय कर चुकी रिजवाना 22वें दिन गुरुवार को वह बहराइच जनपद के नानपारा तहसील पहुंची और यहां से उन्होंने अपने मिशन एवरेस्ट के आगे का सफर शुरू किया। रिजवाना रोजाना 35-40 किलोमीटर का पैदल सफर तय करती है, उनका सपना है की उनके द्वारा शुरू किए गए अपने मिशन एवरेस्ट के सपने को साकार करे, वैसे तो उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती है लेकिन जब इरादे मजबूत हो और हौसले बुलंद हो तो कुछ भी नामुम्किन नहीं। रिजवाना इससे पूर्व 6 चोटियों को फतह कर चुकी है 6,135 मीटर ऊंचे माउंट स्टॉक कांगड़ी, 6,125 मीटर ऊंचे माउंट गोल्फ कांगड़ी, माउंट यूनम पीक 6,111 मीटर, 5158 मीटर माउंट डांगमाचन, 5,289 मीटर माउंट फ्रेंडशिप पीक, 12,500 फीट केदारकांठा की चोटियों को फतह कर चुकी है, रिजवाना अंतरिक्ष का सफर तय करने वाली कल्पना चावला से काफी प्रभावित है वह उन्हें अपना प्रेरणा श्रोत मानती है। नानपारा पहुंची रिजवाना खान सैफी ने बताया की वह एक साधारण परिवार में जन्मी है और मैं अपने सपनो के बीच आर्थिक कमी को नही आने देना चाहती मैं एवरेस्ट की पहाड़ी पर जाकर अपने देश के तिरंगे को फहराना चाहती हूं और अपने देश प्रदेश का नाम रोशन करना चाहती हूं उन्होंने देशवासियों से अपील की है की वह उन्हें सपोर्ट करे और उनकी आर्थिक मदद भी करे, उन्होंने बताया की मेरा बचपन काफी संघर्षशील रहा, मैं अपने जैसी लड़कियों की आवाज बनना चाहती हूं ताकि लड़कियां कभी सर झुकाकर नहीं सर उठाकर चले। एक सवाल पर उन्होंने कहा की संघर्ष सबको करना पड़ता है चाहे वह लड़का हो या लड़की हालात परिस्थितियां कैसी भी हो उन्हे डटे रहना चाहिए अपने लक्ष्य से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए, उन्होंने कहा कि हालात सबसे ज्यादा उस समय खराब होते है जब आप 99 प्रतिशत अपनी मंजिल के करीब होते है, मैं यह नहीं चाहती की मेरा यह सफर रुके क्योंकि कल को कोई यह न कह सके कि पैसों की वजह से तुम रुकी या तुमने संघर्ष नहीं किया मेरा संघर्ष जारी रहेगा और एक दिन अपनी लक्ष्य की प्राप्ति करूंगी। रिजवाना के पिता इंतजार अली सैफी ने बताया की मै हमेशा अपनी बेटी के साथ हूं और उसे सक्षम बनाने के लिए हर संभव कोशिश की है और एक दिन मेरी बेटी जरूर एवरेस्ट की चोटी पर जरूर तिरंगा फहराएगी वह दिन एक पिता के लिए बहुत बड़ा दिन होगा।

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