स्कूल भवन की भौतिक स्थिति गुणवत्ताहीन, फिर भी बच्चे बैठ कर पढ़ने में है मजबूर

स्कूल भवन की भौतिक स्थिति गुणवत्ताहीन, फिर भी बच्चे बैठ कर पढ़ने में है मजबूर

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक- सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

स्कूल भवन की भौतिक स्थिति गुणवत्ताहीन, फिर भी बच्चे बैठ कर पढ़ने में है मजबूर

देवभोग- जिला गरियाबंद के विकास खण्ड देवभोग में एक दुखदाई वाली खबर सामने सुनने को मिल रही हैं,झाखरपारा पंचायत के आश्रित पारा लीयाहारी पारा के में विगत कई वर्षों से इस पारा में शासन -प्रशासन के आदेशानुरूप शासकीय प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है, इस पारा में लगभग 20 से भी अधिक संख्या में बच्चे स्कूलों में पढ़ने -लिखने के लिए रोज आतें है।

लीयाहारी पारा में निवासरत लोगों का कहना हैं कि खंडहर की तरह तब्दील हुई भवन में हमारे बच्चे शिक्षा पढ़ने -लिखने के लिए हम भेजते हैं।दिवार के चारों ओर न ही प्लास्टर किया गया है और न ही साफ़ साफ़ दिख रहा हैं। आज कल पानी बरसता का मौसम है, पानी बरसता मौसम के दिनों में अनेक प्रकार के विषयुक्त बिच्छू,सर्प व कीड़े मकोड़े का अधिक कहर अभी जारी हैं।
अचानक यदि दिवार के अंदर में यह कीड़े मकोड़े छिपे रहे, और बच्चे पढ़ने लिखने में ध्यान शिक्षक के तहत रहें, उस बीच में यदि किसी बच्चे को काट देता है तो नतीजा क्या होगा।भवन निर्माण का लगभग दस पन्द्रह साल होने जा रहा हैं, फिर भी जिला से विकास खण्ड के उच्च स्तर के अधिकारियों का स्कूल निरीक्षण किरने के लिए आते हैं और स्कूल की स्थिति को शासन -प्रशासन तक पहुंचाई जाती हैं,या
अधिकारी अपने डायरी विकास खण्ड तक ही सीमित रखीं जा रही हैं।हम सभी पारा वासीयों के समझ से परे हैं। ऐसे हम क्या करें जो कि इस बदहालात में निर्मित भवन को सुधार हो सके। शिक्षक भी मजबूरी में बच्चों को पढ़ा रहा हैं। यदि शिक्षा मंदिर कि स्थिति ऐसी हो तो बच्चे का भविष्य में इसका असर क्या हों सकता हैं।
सरकार लाखों करोड़ों रुपए शिक्षा के विकास के लिए आंबटित कर रही हैं। और आज कल ,स्कूल जतन योजना, के तहत प्रत्येक गांव व शहरों के स्कूलों में शिक्षा कि गुणवत्ता सुधार व स्कूलों का बाह्य आवरण में परिवर्तन के लिए सरकार बजट दें रहीं हैं । फिर भी यह स्कूल की स्थिति नाजुक हैं। इतना साल हो रहा हैं फिर भी कुछ परिवर्तन नहीं हों रहा है। स्पष्ट यह हों रहा है कि, मामले को यह देखा जाएं तो देखीं कर भी अनदेखी हो कर एक कदम दूर होने से स्कूल का हालात को भुला दिया जा रहा है। इस साल सरकार स्कूल मरम्मत के नाम से लाखों रूपए शिक्षा विभाग में दिया गया है। वह राशि को खर्च कैसे काग़ज़ी में काम किया गया है, कार्यवाही कर
क्या राशि को बन्दर बांट लिया जाएगा ? लीयाहारी पारा में रहने वालों गरीब किसान, मजदूर व्यक्तियों का एक तर्ज़ पर कहना यह है कि हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ने -लिखने के लिए आते हैं।
उन्हें अच्छी तरह से बैठ कर, कोई मानसिक तनाव मुक्त रहीत से शिक्षा प्राप्त कर सकें। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम सभी जनता स्कूल में ताला लगाकर देवभोग विकास खण्ड मुख्यालय में धरना प्रदर्शन करने में मजबूर हो जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी अनदेखी कर रही हैं शासन -प्रशासन कि होगी।हम सभी पारा वासीयों का यह एक निवेदन करने जा रहे हैं कि तत्काल स्कूल का हालात सधार किया जाएं।

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