मनरेगा में काम किए ग्रामीण गरीब मजदूर इ.के.वाई.सी .के आफत से दो माह से यूनियन बैंक का चक्कर काट रहे हैं

मनरेगा में काम किए ग्रामीण गरीब मजदूर इ.के.वाई.सी .के आफत से दो माह से यूनियन बैंक का चक्कर काट रहे हैं

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव “प्रधान संपादक – सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

मनरेगा में काम किए ग्रामीण गरीब मजदूर इ.के.वाई.सी .के आफत से दो माह से यूनियन बैंक का चक्कर काट रहे हैं

बिन्द्रानवागढ़ गरियाबंद।देवभोग – यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा उरमाल में स्थापित किया गया है, इस बैंक खाता अधिकतर तैल नदी पार छत्तीस गांव के आम व्यक्ति ने अपना खाता खोला है।
ज्यादातर गांव में खाता खोला है वह गांव है खोकसरा, उसरी पानी,कोदोभाठा, फुली मुंडा,कोसोमकानी,दहीगांव,
दबनई गांवों के किसान, मजदूर व महिला स्वसहायता समूहों ने खाता खोले गए हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण जनों ने विभिन्न योजनाओं से निर्माण कार्य में 2 माह होने को जा रहा है मजदूर किए गए , लेकिन अब तक मजदूरों के खाते में पैसा जमा नहीं हुई है। गरीब मजदूर व्यक्ति मेहनत करें और सही समय पर पैसा खाते में जमा नहीं हो रहा है। बहुत दुखद कि बात है, मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का राशि अब तक बैंक में जमा नहीं हो रहा हैं,जब मजदूर व्यक्ति बैंक को पैसा निकालने जातें हैं, तो ईकेवाइसी करना होगा बताया जाता हैं,कभी कभी यह बताया जाता है कि सिस्टम बंद कर दिया गया है, बताया जाता है। हम गरीब व्यक्ति यूनियन बैंक शाखा उरमाल को जब जातें है तो लगभग 8-9 किलोमीटर कि लम्बी दूरी सफर तय करना पड़ता हैं।भुखें प्यासे में रहकर भी बैंक से पैसा निकालने के चक्कर में दिन भर गुजारना पड़ता है। यदि पैसा खाते में जमा हुई तो आहरण कर सकते हैं, नहीं होने की स्थिति पर घर को वापस लौट आते हैं। आज करीब लगभग 20से 30 मजदूर यूनियन बैंक को पैसा निकालने के लिए गए थे, लेकिन यूनियन बैंक शाखा प्रबन्धक व केशियर ने इ.के.वाई .सी .करना होगा बताई गई, इस कारण सभी ग्रामीण व्यक्ति निराश हो कर बैंक से घर आना पड़ा। क्या ऐसे ही दिन गुजारना पड़ेगा या ऐसे चलते रहेगी।हम गरीब मजदूर व्यक्ति को एक रूपए के लिए कितनी कढ़ी मेहनत करना पड़ता है।
सरकार कि योजना के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का कार्य निर्माण समयावधि पूर्ण तों हो चुका, लेकिन हम मजदूरों का मज़दूरी राशि भूगतान अब तक नहीं हों पाई है। प्रत्येक वर्ष हीं मनरेगा में काम किया गया राशि को अपने ग्रामीण आंचलिक क्षेत्र में पूर्वजों के मान्यता के आधार पर चलतीं आ रही परम्परागत क्षेत्रीयता पर्व , रथयात्रा पर्व, हरियाली त्योहार, , श्रावण माह, गणेश चतुर्थी, रक्षा बंधन, जैसे अनेक त्यौहारों को बड़ी खुशहाली के साथ मनाई जाती है। लेकिन इस साल मनरेगा में काम किया गया, मज़दूरी पैसा बैंक में अब तक जमा नहीं हुई हैं, इस लिए हमने सभी त्यौहारों को फिक्का हीं फिक्का मनाई गई।
अब एक हमारे प्रमुख त्यौहार सामने आ चुकी है , वह है नव भक्षण, यदि इस त्यौहार में भी मनरेगा का पैसा हमारे खाते में जमा हो जाती हैं तो,हमें कुछ राहत मिल सकती है, चुकी हमें इस त्यौहार को भली भांति पूर्वक मना सके ताकि किसी दूसरे व्यक्ति से उधार,व घर के आभूषण को क़र्ज़ कर त्यौहार को मनाने में मजबूर न हो। यदि पैसा नव भक्षण त्यौहार के पहले जमा नहीं होती हैं, तो हम सभी मनरेगा में काम कियें हुए मजदूर गरियाबंद जिला कलेक्टर साहब के दफ्तर में पहुंच कर लिखित रूप से आवेदन पत्र कलेक्टर साहब के हाथों में थमाई जाएगी ।

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