मधुवन बीसी 42 साल कि उम्र में दृष्टिहीन बन गया रायपुर शासकीय नेत्रालय अस्पताल में इलाज कराने के बावजूद भी 2 आंख का रोशनी वापस नहीं लौट सका

मधुवन बीसी 42 साल कि उम्र में दृष्टिहीन बन गया रायपुर शासकीय नेत्रालय अस्पताल में इलाज कराने के बावजूद भी 2 आंख का रोशनी वापस नहीं लौट सका

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

मधुवन बीसी 42 साल कि उम्र में दृष्टिहीन बन गया रायपुर शासकीय नेत्रालय अस्पताल में इलाज कराने के बावजूद भी 2 आंख का रोशनी वापस नहीं लौट सका

 

गरियाबंद।देवभोग – डूमरबाहाल निवासी श्री मधुवन बीसी 42 साल कि उम्र में अपने आप दोनों आंखों की रोशनी सदैव हमेशा के लिए अंधा हो गया।इन 42 साल कि कच्ची उम्र में जिंदगी बन गई अंधेरे कुएं में घुट घुट कर जीने का हुआ मजबूर। दोनों नेत्रों से पीड़ित श्री मधुवन बीसी ने अपने दोनों आंखों को इलाज करवाया परंतु उन्हें सफल नहीं मिला इस दुःख भरी जिंदगी में असफल कहानी दोनों आंखों में आंसू झलकते हुए उन्होंने यह कहानी सुनाई ,कि मेरे दोनों नेत्र वर्ष 2016 से देख पाना अपने आप ही बंद हो गया, मुझे समझ में नहीं आया आखिर क्यों ऐसे हों गया में आश्चर्य चकित रह गया। मेरे परिवारों को भी समझ से परे हो गए, मैं और मेरे परिवार कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा भी हो जाएगा। कभी मन ऐसा सोचा भी नही था कि मैं आज हस्ती खेलती कच्ची जवानी अवस्था में अंधेरे कुएं में डूबे हुए अपना जीवन व्यतीत करूंगा। इस उम्र में लोग खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दुनिया में हजारों लोग एक स्थान से दूसरे स्थान आना जाना करके खुशी खुशी जीवन निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन मेरा बद किस्मत के कारण आज मैं घर के चारों दिवारों के अंदर में कैद बन कर जीवन जी रहा हूं। मैं दुनिया को अपने दोनों नज़रों से देख नहीं पा रहा हूं, मेरे जीवन में ऐसा संकट का घड़ी मंडराया माने कि मैं मूर्ति निर्मित हो गया। चुकी मैं ना कहीं चल कर जा सकता हूं और ना ही कोई काम कर सकता हूं,सदा हमेशा के लिए पत्थर का मूर्ति स्थापित हो गया हूं। मैं अपने परिवारों को ना तो दोनों आंखों से देख पा रहा हूं, और ना ही खुशी हंसी जीवन व्यतीत कर रहा हूं। मैं सिर्फ दोनों कानों में ही किसी कि आवाज को सुनकर पहचान पा रहा हूं।मैं जिंदगी अपने परिवारों के साथ रूखी सूखी जिंदगी गुजार करने में मजबूर हूं। मुझे परिवार जनों ने मेरे दोनों आंखें को ईलाज कराने के लिए नारायण नेत्रालय रायपुर में भर्ती करवाए । यहां पर मेरा आंखें का दबा ईलाज चल रहा था। और उस वक्त रायपुर का नेत्र अस्पताल का बड़ा सर्जन ने जांच रिपोर्ट के मुताबिक डाक्टर ने मुझे स्पष्ट रूप से बता दिया कि आप को ब्लेकोमा हुआ है।और यह एक जनेटिक बीमारी है। आपका इस बीमारी का ईलाज दुनिया में कहीं पर भी नहीं हो रहा है। डाक्टर के द्वारा यह मार्ग परामर्श दिया गया और भी यह बताया गया कि यदि आप इलाज करवाते हैं तो आपके दोनों आंखों को चिर फाड़ करके अधिक नुकसान पहुंचाया जा सकता है तथा धन भी अधिक खर्च हो जाएगा। यह परामर्श डाक्टर के द्वारा दिए जाने के कारण मेरे परिवार जनों ने मुझे घर को पुनः वापस चलें आए । मैं उसी समय से कहीं पर भी आंख का दबा इलाज नहीं करवा रहा हूं। शासन -प्रशासन कि और से मुझे स्मार्ट कार्ड मिला है। परंतु स्मार्ट कार्ड के माध्यम से मैंने 2-2 बार सरकारी अस्पतालों से इलाज करवाया । और कुछ लोगों ने मुझे परामर्श दिया उन्हीं के बताए हुए मार्ग के अनुरूप मैंने प्राइवेट नेत्र चिकित्सालय रायपुर में भी इलाज करवाया परंतु पैसा खर्च के सिवाय मुझे कुछ भी लाभ नहीं मिल सका। शासन -प्रशासन से मैं विनती करना चाहता हूं ,कि मुझे दृष्टिहीन प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाए। दृष्टिहीन प्रमाण पत्र के लिए जिला अस्पताल गरियाबंद में आवेदन जमा कर चुका हूं ।तथा अपने क्षेत्र में जगह – जगह पर नेत्र शिविर लग रहा था ।उसी गांवों में मैं उपस्थित हो कर मेरा बायोडाटा भी जमा किया गया है । यहां तक कि भूतपूर्व सरपंच के कार्यकाल में मुझे सरपंच व सचिव दोनों ने शिविर में मुझे ले करके नेत्रहीनता प्रमाण पत्र आवेदन फार्म
भरा गया । लेकिन अभी तक मुझे नेत्रहीनता प्रमाण पत्र नहीं मिला है। यदि प्रमाण पत्र मेरे पास रहता तो मैं सरकार कि योजनाओं से लाभ ले पाता। मुझे हर महीने दृष्टिबाधित पेंशन योजना से लाभ मिलता तथा साथ में चावल ,आवास व अन्य योजनाओं से लाभ मिलता। लेकिन सरकार के हर एक योजनाओं से मुझे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो पाता जिससे आंनद जीवन भौतिक सुख सुविधाएं मिलता। मेरे तरह सभी विकलांगों को सरकार कि हर योजनाओं से लाभ उठा रहे हैं। केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा विकलांगों को दि जा रही हर योजनाओं से लाभ मुझे भी मिलता। मेरे घर में आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है।इसे सुदृढ़ करने के लिए मुझे सरकार का सहारा लेना पड़ेगा जिससे आर्थिक परिस्थितियों में थोड़ी सुधार आ सकती है । जिसके जरिए से भौतिक सुख सुविधाओं में बदलाव आ सकता है। वर्तमान में आर्थिक स्थिति काफी नीचे गिर चुकी है। मुझ अंधा को सहारा देने के लिए इस दुनिया में कोई भी आगे नहीं आते हैं । सरकार के द्वारा सभी प्रकार के विकलांगों को जिला अस्पताल गरियाबंद में विकलांग प्रमाण पत्र दिया जा रहा है।उसी के अनुरूप मैंने भी सारे बायोडाटा जमा कर दिया हूं। फिर भी प्रमाण पत्र बना कर आने में इतना समय क्यों लग रहा है ? क्या बजह हों सकती है जो कि इतना विलम्ब हो रही है ?क्या मुझ पर शासन-प्रशासन तनिक भी विश्वास नहीं हो रहा है।या अंधा होने का ढोंग रच रहा है। और भी यह विचार किया जा रहा है कि शासन-प्रशासन को धोखा दे कर योजनाओं से लाभ उठाना चाहता है। क्या मैं शासन के आंखों में धूल झोंककर अपना स्वार्थ के लिए यह नीति अपनाया हूं। जिससे मुझे हर योजनाओं का लाभ मजे से लेना चाहता हूं। नहीं मैं ऐसा कदापि गलत कदम उठा नहीं सकता। मेरे दोनों आंखें यदि सही सलामत होता तो मैं जिंदगी खुशहाली जीवन व्यतीत करता होता। अपने इस जीवन में हजारों लाखों रुपए कमा चुका होता जब से मेरा आंख देखना बंद हो गया तब से मेरे परिवारों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।इसी कारण मैं आज आपके दरवाजे पर मुझे नगमस्तक झुकाने बार -बार आने के बावजूद भी मुझे आपके सहयोग से दूर रखा जा रहा है। मेरे दोनों आंखें कि रोशनी जब से चली गई है, तब से मैं बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है । मेरे परिवारों को देखरेख पालन पोषण करने वाला घर में कोई नहीं है। एक मात्र मेरा लड़का है।वह नादान बच्चा कम उम्र का है ।उसे इतना दिमाग नहीं है, जो कि 4 परिवार को मेहनत ,मजदूरी करके घर का दैनिक दिनचर्या को संभाल सकें। जब से मेरा आंख की रोशनी चली गई तब से मेरा लड़का को मैं आगे पढ़ाई करने में मदद नहीं कर सका। मेरा लड़का कम उम्र में भी मां बाप को पालन पोषण कर रहा है।वह छोटा सा चिल्हर थोक विक्रेता लगभग तीन चार हजार रुपए में बड़ी दुकान से सामान खरीद कर छोटा सा व्यापार चला रहा है। इस व्यापार से हमारे परिवार रूखी सूखी जीवन व्यतीत कर रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि मुझे दृष्टिहीनता प्रमाण पत्र कब तक शासन -प्रशासन से मिलने की संभावना है, मैं इंतजार और कुछ दिन तक देख रहा हूं। यदि नहीं मिला तो मैं नये मुख्यमंत्री जी के दफ्तर में शरण लगा कर विनती करूंगा।

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