अप्रैल और मई महीने में दिन भर भीषण गर्मी होने कि वजह से जीव जगत में हाहाकार मचा

अप्रैल और मई महीने में दिन भर भीषण गर्मी होने कि वजह से जीव जगत में हाहाकार मचा

इन्हे भी जरूर देखे

✍🏻”लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक– सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

अप्रैल और मई महीने में दिन भर भीषण गर्मी होने कि वजह से जीव जगत में हाहाकार मचा

गरियाबंद – अप्रैल और मई महीने में भीषण गर्मी दे रहा है। ये सब मनुष्य प्राकृतिक तंत्र को नष्ट करके अपनी इच्छानुसार बदलता रहा है। मनुष्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने जैसे मकान बनाने, ईंधन के लकड़ी साथ ही विभिन्न फसलों को उगाने व फलों के उद्यान लगाने के लिए भी वह अपने इच्छानुसार प्राकृतिक पारितंत्र को नष्ट कर रहा है।
बहुत पुराने समय संसार में कम प्राणी थे, प्राकृतिक पारितंत्र कम नष्ट होते थे परन्तु जनसंख्या बढ़ने के साथ रहने के लिए व सड़क आदि बनाने के लिए स्थान की आवश्यकता, मकान बनाने की सामग्री व ईंधन की आवश्यकता और खेती के लिए भूमि की आवश्यकता बढ़ती जा रही है ‌।जिस कारण परितंत्र के उत्पादन इत्यादि के विचार के बीना ही उसे नष्ट कर दिया जा रहा है। उसका स्वरूप बदलता जा रहा है, इसी लिए धीरे-धीरे पारितंत्र समाप्त होने लगा है। क्यों कि उर्जा और दूसरे पदार्थो का संतुलन मनुष्यों व जंतुओं द्वारा नष्ट कर दिया जा रहा है। मिट्टी के ऊपर की उपजाऊ सतह हवा व वर्षा के जल द्वारा अपरदन से नष्ट होकर वनस्पति विहीन हो गई है। मनुष्य अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के जहरीली कीटनाशक दवा का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे धरातल पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यदि भारी मात्रा में घने पेड़ पौधों होते तो आज ये मुसीबत देखने को नहीं मिलती इस कलयुग में अनेक प्रकार के मोटर वाहन व दूषित गैस वाले कारखाने खोलें गए है।यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में अनेक गैसों के अतिरिक्त आक्सीजन गैस भी रहती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस पौधों को भोजन बनाने में प्रयुक्त होती है। इसमें आक्सीजन गैस बाहर निकलती हैं।यह आक्सीजन गैस मनुष्यों व जंतुओं द्वारा श्वसन क्रिया में प्रयुक्त होती है। अनेक जहरीले गैसों के कारण वायु मण्डल व पृथ्वी पर तापमान बढ़ती जा रही है। ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिससे सूर्य की पराबैगनी किरणें को रोकने में असमर्थ हो गया है।यह पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर परावर्तित हो कर
40 अंश सेल्सियस तापमान बढ़ गई है। विश्व पर्यावरण संरक्षण वानिकी अनुसंधान संस्थान से यह बताया जा रहा है कि अधिक से अधिक संख्या में पेड़ पौधे लगाई जाए और तीव्रता तापमान बढ़ रही है उसे बचाव हो सकता है।
यदि पारितंत्र को संतुलित बनाए रखना चाहते है तो 8-10 पेड़ जरूर लगाएं और अपने मानव जीवन को निस्वार्थ भाव से जनकल्याण में सहयोग करने में भागीदारी बने।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इन्हे भी जरूर देखे

Must Read