पहली प्रसव के बाद 26 साल की लक्ष्मी सोनवानी हों गई नेत्रहीन मदद की लगा रही गुहार

पहली प्रसव के बाद 26 साल की लक्ष्मी सोनवानी हों गई नेत्रहीन मदद की लगा रही गुहार

इन्हे भी जरूर देखे

✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक- सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

पहली प्रसव के बाद 26 साल की लक्ष्मी सोनवानी हों गई नेत्रहीन मदद की लगा रही गुहार

  1. देवभोग के ग्राम पंचायत निष्ठीगुडा़ महिला 26 साल की लक्ष्मीबाई सोनवानी पति पोखराज सोनवानी इनकी विवाह वर्ष 2020 में हुआ था, पहली प्रसव के पश्चात पहले बच्चे को जन्म देने के चार महीने बाद ही दोनों आंखों से दिखना बंद हो गया।एक तरफ संतान का सुख था तो दुसरी ओर नेत्रहीन होने का दुखों का पहाड़।समस्या को लगभग दो वर्ष होने जा रहा हैं।
    कम उम्र में ही अपने आंखों की रोशनी खोने के बाद लक्ष्मीबाई टूट सी गई है मानो जिंदगी ने लक्ष्मीबाई के सारे सपनों को काजल सी काली कोठरी में कैद कर रख दिया हो।
    जब कोई व्यक्ति दोनो आंखें होने के बावजूद कई तरह के ठोकरें खाता हैं, पता नहीं नेत्रहीन लक्ष्मी को कीतने दर्द के ठोकरों से गुजरना पड़ रहा होगा। अब लक्ष्मीबाई की बुढ़ी सास मां का जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी बहू और नाती का देखभाल करती है खाना खिलाने से लेकर नहाने व शौचालय जैसे दैनिक कार्यों में बहू का हाथ पकड़कर सभी कार्यों मे सास लक्ष्मीबाई के नेत्र बनकर सारे चुनौतियों का सामना करते सब कुछ सम्भालना रही हैं सास बुजुर्ग होने के बावजूद बहू के हिस्से की सारी काम करती दिख जायेगी जैसे घरेलू काम खाना बनाना, कपड़े धोना, अपने छोटे पोता का परवरिश करना अपने बुढ़े कंधों के सहारे ढो रही हैं।
    लक्ष्मीबाई ने अपनी तकलीफ बताते हुए कहा की अब मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता क्योंकि मेरा जीवन अब अंधकार के घनघोर काले बादलों में कहीं खो चुका है। मैं पहले देख पाती थी तो सारा काम कर लेती थी मजदूरी कर परिवार के लिए आर्थिक रूप से भी कुछ कर लेती थी लेकिन अब मुझे मेरी जिंदगी श्राप सी लगने लगी है। घर की माली हालत भी काफी खराब है पति महिनों बाहर रह कर काम करते हैं और अपना घर चला पाता है।लक्ष्मीबाई का मांग है कि यदि सरकार के किसी भी प्रकार के लाभदायक योजना के श्रेणी में आती हो तो उसे वो सारी लाभ मिले ताकि उसके परेशानियों में कुछ मदद हो सके।
    लक्ष्मीबाई सोनवानी के ससुर उमेश कुमार सोनवानी कहते हैं कि मेरी बहू के आंखों की रोशनी जब से चली गई हैं तब से हम दोनों पति पत्नी को ही देखरेख करना पड़ता हैं बहू का नेत्रहीन विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए जिला भी अस्पताल के चक्कर काटने के बाद शिविर के माध्यम से प्रमाणपत्र दिया गया है। प्रमाण पत्र होने के बावजूद अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिल पाया है। पीड़िता के परिवार शासन और प्रशासन से गुहार लगाते हुए चाहते हैं कि बहू लक्ष्मी बाई सोनवानी का आंखों के इलाज के लिए पहल करे ताकि वह सुख से जीवन व्यतीत कर सके, यहीं लक्ष्मीबाई का सरकार से प्रार्थना हैं, देवभोग के गरीब,मजदूर,बेसहारा,बेबस ,लाचार
    इंसानो के मदद के लिए हम आप सबको आगे आकर देवभोग के जनता के लिए हमें एक नई उम्मीद का किरण बनना होगा ताकि कोई भी खुद को अकेला ना पाये

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इन्हे भी जरूर देखे

Must Read