खबर का असर शासन प्रशासन जागा 20 वर्षो से महेश के पैरो में बंधी रस्सी टूट गई स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद की टीम ने लिया उपचार का जिम्मा

खबर का असर शासन प्रशासन जागा 20 वर्षो से महेश के पैरो में बंधी रस्सी टूट गई स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद की टीम ने लिया उपचार का जिम्मा

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव” संपादक – विक्रम कुमार नागेश की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

खबर का असर शासन प्रशासन जागा
20 वर्षो से महेश के पैरो में बंधी रस्सी टूट गई
स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद की टीम ने लिया उपचार का जिम्मा

गरियाबंद-:- छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा विशेष पिछड़ी कमार भुंजिया जनजातियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, संबंधी कई तरह की योजनाएं संचालित की जाती है ताकि इन गरीब आदिवासियो का विकाश एवम भला हो सके, सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाएं राज्य के उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे यही सरकार का मुख्य उद्देश्य है उसके बावजूद भी जरूरतमंद लोगों तक इन सुविधाए का न पहुंचना चिंता का विषय है वही जिम्मेदार पद पर बैठे उच्च अधिकारी या जनप्रतिनिधि द्वारा इन गरीब लोगो के प्रति सबसे बड़ी जवाबदारी बनती है वही लोग नजर अंदाज करने में लगे रहते है।
ऐसा ही एक मामला जिला गरियाबंद मुख्यालय से लगभग 28 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत कोपेकसा के आश्रित गांव सुखरीडबरी निवासी एक ऐसे भुंजिया परिवार की है जिनका भविष्य अंधकार से घिरा हुआ था उम्मीद की कोई किरण दिखाई नही पड रही थी कही से कुछ रास्ता नजर नहीं आ रहा था और रास्ता बताए भी कौन इसी बीच इंडियन रेड क्रास संरक्षक समाजसेवक मनोज पटेल हालचाल जानने उसके घर पहुंचा और घर की मुखिया अघनी बाई दिल को दहला देने वाली बाते बताई कहती है घर में कुल पांच सदस्य है उनके चार बेटे है, बड़ा बेटा महेश, जेपाल, धीपॉल, शिवपाल। इनमें से बड़े बेटा महेश भुंजिया जिसकी उम्र 30 का वर्ष है, महेश जब तीन चार साल का था, तब से अचानक झटके आना शुरू हुआ उसकी मां को चिंता सताए जा रही थी क्योंकि घर से एकदम कमजोर जिसके पास आय का कोई जरिया नही बेहद गरीब ऐसे में दुख का पहाड़ सा लग रहा था तब से इन लोगो की आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई गरीब बेबस आखिर मदद के लिए किसे कहती कोई सुनने वाला नही था इलाज कहा से करवाती, अघनी बाई आगे कहती है महेश को 15, 20 वर्षो से रस्सी से बांधकर जानवर की भांति रखा जाता था ऐसे कहती हुई उसकी मां रो पड़ी क्योंकि एक मां अपने बच्चे को किसी जानवर की भांति रस्सी से बांधे रखना पसंद नहीं करती लेकिन इस मां की मजबूरी है महेश की मानसिक स्थिति खराब के चलते एक बार जंगल की तरफ भाग गया था ढूंढने पर बहुत मुश्किल से मिला तब से उसे रस्सी से बांधकर रखा जाता था। समाजसेवक मनोज पटेल की पहल को पत्रिका एवं लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव ने प्रमुखता से सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया एवम खबर का प्रकाशन किया और उसके दूसरे ही दिन जिला गरियाबंद स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जिला अस्पताल गरियाबंद लाया गया महेश की बेड़ियां टूट गई समुचित उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने जिला गरियाबंद स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार लगी हुई है।
गरियाबंद जिले के विकासखंड गरियाबंद बीएमओ डा. बारा ने प्रेस वार्तालाप पर लोकहित 24 न्यूज़ एक्सप्रेस लाइव को बताया कि महेश को बचपन में बुखार आया था फिर झटका आया था दिमागी थोड़ा प्राब्लम है दिमागी कमजोरी है मानसिक रूप से नही है जितना हो सके उतना हम इलाज करेंगे

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