झरगांव तेतलपारा के प्राथमिक शाला भवन हुआ जर्जर जान जोखिम में डाल कर बच्चे सुनहरे भविष्य गढ़ने को मजबूर

झरगांव तेतलपारा के प्राथमिक शाला भवन हुआ जर्जर जान जोखिम में डाल कर बच्चे सुनहरे भविष्य गढ़ने को मजबूर

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✍️ “लोकहित 24 न्यूज एक्सप्रेस लाइव” प्रधान संपादक- सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

झरगांव तेतलपारा के प्राथमिक शाला भवन हुआ जर्जर जान जोखिम में डाल कर बच्चे सुनहरे भविष्य गढ़ने को मजबूर

गरियाबंद- एक तरफ राज्य व केन्द्र सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की दम भरते नहीं थक रहे हैं। दुसरी ओर गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर के दुरस्थ वनांचल के ग्रामों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था के चलते मासूम बच्चो को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रहा है और बकायदा बच्चे शिक्षा हासिल करने स्कूल तक पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हे बैठकर पढ़ाई करने के लिए स्कूल अच्छा भवन भी नसीब नहीं हो पा रहा है। यहां सब स्थिति क्षेत्र के झरगांव पंचायत के आश्रित पारा तेतलपारा में देखने को मिल रहा है और तो और शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों को यह तक मालूम नही है कि बच्चे किस स्थिति में पढ़ाई कर रहे हैं। तहसील मुख्यालय मैनपुर से 60 किलोमीटर दुर ग्राम पंचायत झरगांव के आश्रित पारा है। इस पारा में सन् 1997 में प्राथमिक शाला शासन के द्वारा प्रारंभ किया गया है, और स्कूल भवन का भी निर्माण किया गया है। स्कूल भवन बेहद जर्जर हो गया है, स्कूल भवन के छत पुरी तरह से जीर्ण शीर्ण हो चुका है और बडे बडे प्लास्टर टुटकर गिर रहे हैं, जिसके चलते इस भवन स्कूल की कक्षाए संचालन करना किसी खतरे से कम नहीं है। बच्चों की जान की सुरक्षा को देखते हुए कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक की एक ही कक्षा संचालित किया जा रहा है। भले ही यह सुनकर आश्र्चय होगा लेकिन यह पुरी तरह सत्य है। एक ही कक्षा में छात्र छात्राएं अध्ययन कर रहे है और यदि पुरे बच्चे एक साथ स्कूल में पढाई करने पहुंचते हैं तो शिक्षक

इतने छोटे कमरे के अंदर खडे भी नहीं हो पाते ऐसे में पांच कक्षा संचालित करवाना मजबूरी बन गई है। शासन द्वारा शाला नए सत्र चालु होने पूर्व सभी स्कूलओ में छत मरमत हेतु लाखों की स्वीकृति की गई लेकिन अब एक एक स्कूल में छत मरमत नहीं किया गया है।

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