राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

छुरा/गिधनी–:–आईएसबीएम विश्वविद्यालय की विज्ञान संकाय द्वारा दिनांक 7 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।यह कार्यक्रम विज्ञान संकाय के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम अत्यंत विचारोत्तेजक, ज्ञानवर्धक एवं मार्गदर्शक रहा।
इस आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से जुड़े शिक्षकगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।इसका उद्देश्य नीति की मूल भावना, संरचना,लक्ष्य और प्रभावी कार्यान्वयन को समझाना तथा विश्वविद्यालय स्तर पर इसे सफलता से लागू करने के उपायों पर चर्चा करना था।
*मुख्य वक्ताओं के विचार*
प्रोफेसर स.विश्वास ने भारतीय ज्ञान प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि देश के तीन राज्य अब तक इस नीति को पूर्ण रूप से लागू नहीं कर पाए हैं।उन्होंने भारतीय परंपरा और मूल्यों को समझने और आत्मसात करने की आवश्यकता बताई।
प्रोफेसर स्वामी ने नीति की अवधारणाओं, विचार प्रक्रिया और कौशल-आधारित शिक्षण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “विकसित भारत” की कल्पना को साकार करने के लिए विद्यार्थियों का समग्र विकास,आत्मनिर्भरता और रचनात्मकता आवश्यक है। रजिस्ट्रार महोदय ने अनुभवात्मक अधिगम प्रणाली को समझाते हुए कहा कि ज्ञान केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि खेल, क्षेत्रीय भ्रमण और अनुभवजन्य विधियों के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि डिग्री केवल एक प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण का समुच्चय है।कुलपति महोदय ने शिक्षक प्रशिक्षण, व्यक्तित्व विकास, क्षमताओं के निर्माण एवं सकल नामांकन अनुपात जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे ज्ञान प्राप्ति के लिए कोई सीमा न रखें और आत्मचिंतन करते हुए भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में योगदान दें।डॉ. पूनम वर्मा ने भारतीय ज्ञान प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि हमें केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने 108 बार जप की वैज्ञानिकता और भारतीय संस्कृति की गहराई को समझाया।
श्री युगल किशोर ने नीति के सभी पक्षों पर चर्चा की तथा बहुभाषिक शिक्षा और समान शैक्षिक अवसरों की आवश्यकता को रेखांकित किया।श्री कौशिक ने नीति में निहित वैकल्पिक मूल्यांकन प्रणाली और अंक संचयन प्रणाली की विस्तृत जानकारी दी।नीलम मैडम ने पुस्तकालय आधारित अध्ययन की महत्ता को स्पष्ट किया और बताया कि कैसे विद्यार्थी पुस्तकों एवं डिजिटल माध्यमों से भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।रागिनी सोनी मैडम ने विधिक क्षेत्र से जुड़ते हुए विश्वविद्यालय में नीति आधारित पाठ्यक्रम की भूमिका को समझाया।समापन यह कार्यक्रम केवल एक शैक्षणिक पहल नहीं था, बल्कि यह एक दिशा थी।जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली को और अधिक समावेशी,लचीला एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके।
इस कार्यक्रम की सफल एवं भावपूर्ण मंच संचालन की भूमिका में रहीं मिस हिमांशी साहू, सहायक प्राध्यापक, सीएस एवं आईटी विभाग।
कार्यक्रम के समन्वयक श्री लुकेश्वर साहू ने कार्यक्रम के सभी अतिथियों, वक्ताओं, सहभागी शिक्षकों,शोधार्थियों और विद्यार्थियों के प्रति हार्दिक धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया।

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